सार
ये तस्वीर नेपाल की है, जहां अपने व्हीकल्स पर नए तरह की यानी एम्बोज्ड नंबर प्लेट(embossed number plates) लगवाने के लिए इस तरह का मेला लग रहा है। हुआ यूं है कि यहां अब बगैर एम्बोज्ड नंबर प्लेट के भारी जुर्माना लगाया जा रहा है। पढ़िए पूरा माजरा...
नेपाल. ऐसी लाइनें भारत में नोटबंदी के दौरान देखी गई थीं, लेकिन यहां माजरा अलग है। ये तस्वीर नेपाल की है, जहां अपने व्हीकल्स पर नए तरह की यानी एम्बोज्ड नंबर प्लेट(embossed number plates) लगवाने के लिए इस तरह का मेला लग रहा है। हुआ यूं है कि यहां अब बगैर एम्बोज्ड नंबर प्लेट के भारी जुर्माना लगाया जा रहा है। kathmandupost की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिनिस्ट्री ऑफ फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड ट्रांसपोर्ट के तहत डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट ने 17 जुलाई तक बागमती और गंडकी स्टेट के सभी व्हीकल्स के लिए एम्बोज्ड नंबर प्लेट अनिवार्य कर दी हैं। बता दें कि एम्बोज्ड नंबर प्लेट में उभरे हुए डिजिट होते हैं, जिन्हें कैमरा आसानी से कैप्चर कर सकता है। यह एक RFID (radio-frequency identification) माइक्रोचिप के साथ भी एम्बेडेड है। यानी कनेक्टेड है। (फोटो क्रेडिट-काठमांडु पोस्ट)
केवल 25000 व्हीकल्स पर ही नंबर प्लेट
ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के डेटा से पता चलता है कि अभी तक सरकारी वाहनों सहित केवल 25,000 वाहनों पर नंबर प्लेट लगे हुए हैं। सरकारी एजेंसियों के पास अनुमानित 40,000 वाहन हैं। विभाग के डायरेक्टर जनरल नमराज घिमिरे ने कहा कि विभाग आने वाले 15 महीनों में सभी 25 लाख वाहनों पर एम्बोज्ड नंबर प्लेट लगाने के लिए काम कर रहा है। इस नियम का पालन नहीं करने पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके तहत मोटर व्हीकल्स एंड ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट एक्ट-2049(1994) के तहत नोटिस दिया गया है। सोमवार को अपने बयान में मंत्रालय ने इस दिशा में ढिलाई को लेकर चिंता जताई, क्योंकि पिछले साल 8 नवंबर को नेपाल गजट में इसे पब्लिश किया जा चुका है। सरकार के नोटिस के सात महीने हो चुके हैं, बावजूद मधेश, बागमती, गंडकी, लुंबिनी, करनाली और सुदुरपचिम प्रांतों में से किसी ने भी इसकी प्रॉसेस शुरू नहीं की थी।
एक दशक पहले की है ये योजना
एम्बोज्ड नंबर प्लेट लॉन्च करने की सरकार की योजना एक दशक पहले की है। योजना को तीन वर्षीय अंतरिम योजना 2007-2010 में शामिल किया गया था। हालांकि इस पर काम करने में समय लगा, जिससे कारण यह ठंडे बस्ते में चली गई। 30 मई 2016 को सरकार ने फिर से इस पर काम शुरू हुआ। लेकिन 22 फरवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने के लिए एक अंतरिम आदेश जारी किया। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश गोपाल प्रसाद पराजुली की सिंगल बैंच ने पर्यावरणविद् भारत बसनेत की याचिका के जवाब में अंतरिम आदेश जारी किया था। बसनेत का तर्क था कि इस तरह की नंबर प्लेट पर देवनागरी फॉन्ट का इस्तेमाल किया जाए। क्योंकि नंबर प्लेट पर चिप का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा सकता है और यह नेशनल सिक्योरिटी के लिए ठीक नहीं है। लेकिन 13 दिसंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्थगन आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद फिर से एम्बोज्ड नंबर प्लेट लगने की प्रॉसेस शुरू हुई।
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