सार
जापान में कोरोना महामारी के बाद एक दुर्लभ बैक्टीरिया का संक्रमण बढ़ रहा है। इस बैक्टीरिया को लोग इंसानी मांस खाने वाला बैक्टीरिया कहते हैं। इससे 48 घंटे में मौत हो जाती है।
नई दिल्ली। जापान में इन दिनों एक दुर्लभ बीमारी तेजी से फैल रही है। यह 'इंसानी मांस खाने वाले बैक्टीरिया' के संक्रमण के चलते होती है। यह बैक्टीरिया इतना घातक है कि शिकार की जान लेने में सिर्फ दो दिन लेता है।
जापान में कोरोना काल के प्रतिबंधों में ढील दी गई है। इसके बाद यह बीमारी तेजी से फैलने लगी है। डॉक्टरों के अनुसार यह इंसान को 48 घंटों के भीतर मार सकती है। 'इंसानी मांस खाने वाले बैक्टीरिया' से होने वाले रोग को स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) कहते हैं।
2 जून 2024 तक दर्ज किए गए 977 मामले
जापान के राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान के अनुसार 2024 में 2 जून तक STSS के मामले 977 तक पहुंच गए हैं। पिछले साल इसके 941 दर्ज किए गए थे। जापान के राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान 1999 से इस बीमारी से जुड़े रिकॉर्ड रख रहा है।
50 से अधिक उम्र के लोगों को है ज्यादा खतरा
ग्रुप A स्ट्रैपटोकोकस (GAS) बैक्टीरिया के संक्रमण के चलते आमतौर पर बच्चों में सूजन और गले में खराश होती है। इसे "स्ट्रेप थ्रोट" के नाम से जाना जाता है, लेकिन कुछ प्रकार के बैक्टीरिया के कारण लक्षण तेजी से विकसित हो सकते हैं। इनमें अंगों में दर्द और सूजन, बुखार, निम्न रक्तचाप शामिल है। इसके बाद नेक्रोसिस, सांस लेने में समस्या, अंग विफलता और मृत्यु हो सकती है। 50 से अधिक उम्र के लोगों में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है।
48 घंटों के भीतर हो जाती है मौत
टोक्यो महिला मेडिकल यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोगों के प्रोफेसर केन किकुची ने कहा कि अधिकांश मौतें 48 घंटों के भीतर होती हैं। जैसे कि मरीज को सुबह पैर में सूजन दिखती है, दोपहर तक यह घुटने तक फैल सकती है और 48 घंटों के भीतर वे मर सकते हैं।
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किकुची ने कहा कि संक्रमण की वर्तमान दर के अनुसार जापान में इस साल मामलों की संख्या 2,500 तक पहुंच सकती है। मृत्यु दर 30% तक पहुंच सकती है।
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