सार
नीरव मोदी की न्यायिक हिरासत 17 अक्टूबर तक बढ़ी, अगले साल मई में प्रत्यर्पण पर सुनवाई
लंदन (London). भगोड़ा हीरा कारोबारी और लंदन की एक जेल में कैद नीरव मोदी को गुरुवार को एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 17 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह उसके प्रत्यर्पण मुकदमे की सुनवाई अगले साल मई में करने की दिशा में काम कर रही है।
नीरव पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी करने और धनशोधन मामले में भारत में वांछित है।
नीरव (48) एक नियमित ‘‘कॉल ओवर’’ सुनवाई के लिए जेल से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में उपस्थित हुआ। वह भारत प्रत्यर्पित किये जाने के केस का सामना कर रहा है।
न्यायाधीश डेविड रॉबिन्सन ने कहा कि इस मामले में कुछ ठोस नहीं है और कोर्ट उसके प्रत्यर्पण केस की सुनवाई पांच दिनों तक, 11-15 मई 2020 को, करने की दिशा में काम कर रही है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई अधिकारियों की एक टीम भी सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद थी। ब्रिटेन के कानून के तहत लंबित प्रत्यर्पण केस के लिए हर 28 दिन पर सुनवाई की जरूरत होती है। केस की तैयारियों के लिए अगले साल फरवरी में सुनवाई होने की भी संभावना है।
नीरव मार्च में गिरफ्तार होने के बाद से दक्षिण-पश्चिम लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में कैद है। यह इंग्लैंड की सबसे अधिक भीड़-भाड़ वाली जेल है।
भारत सरकार के आरोपों पर स्कॉटलैंड यार्ड (लंदन महानगर पुलिस) ने नीरव को 19 मार्च को गिरफ्तार किया था और तब से वह जेल में है।
नीरव की गिरफ्तारी के बाद से अधिवक्ता आनंद दूबे और क्लेर मोंटगोमरी के नेतृत्व वाली उसकी कानूनी टीम ने चार जमानत याचिकाएं दायर की, लेकिन नीरव के भागने के खतरे के चलते हर बार ये याचिकाएं खारिज कर दी गई।
जून में उसकी अंतिम जमानत अपील को खारिज करते हुए लंदन स्थित रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस की न्यायाधीश इंग्रिड सिमलर ने कहा था कि यह मानने के ठोस आधार हैं कि नीरव (जेल से बाहर निकलने पर) आत्मसमर्पण नहीं करेगा क्योंकि उसके पास फरार होने के साधन हैं।
[यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है]