सार

फ्रांस में चल रही भयावह स्थिति पर अब भारत खुलकर उसके साथ आ गया है। कट्टरपंथों के खिलाफ अब फ्रांस और भारत मिलकर लड़ाई लड़ेंगे। यही नहीं वह तकनीकी सहयोग, सूचनाओं का आदान प्रदान करके अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कट्टरपंथों के विरुद्ध एक रणनीतिक लड़ाई लड़ेंगे।

नई दिल्ली. फ्रांस में चल रही भयावह स्थिति पर अब भारत खुलकर उसके साथ आ गया है। कट्टरपंथों के खिलाफ अब फ्रांस और भारत मिलकर लड़ाई लड़ेंगे। यही नहीं वह तकनीकी सहयोग, सूचनाओं का आदान प्रदान करके अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कट्टरपंथों के विरुद्ध एक रणनीतिक लड़ाई लड़ेंगे। ऑनलाइन कट्टरपंथ के प्रसार पर नकेल के लिए भी दोनों देश मिलकर काम करेंगे। इसमे सूचनाओं का आदान प्रदान, तकनीकी सहयोग, कट्टरपंथ फैलाने वाले मूल स्रोत की जानकारी एकत्र कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबले की रणनीति शामिल है। ऑनलाइन अपराध के विश्लेषण और खुफिया सूचनाओं को साझा करने में कई अन्य समान विचारधारा के देश सहयोग करेंगे।

सूत्रों के अनुसार, भारत ने एक बार फिर यह साफ किया है कि वो मौजूदा संकट में फ्रांस के साथ खड़ा है। साथ ही भारत ने आतंकवाद और कट्टरपंथ का समर्थन करने वालों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई का आह्वान भी किया है। सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि आतंकवाद और उसे जन्म देने वाला कट्टरपंथ सेंसरशिप का सबसे डरावना रूप है। यह हमारी लोकतांत्रिक स्वतंत्रता और हमारे साझा गणतंत्रवादी आदर्शों के लिए खतरा है। पेरिस और नीस में जो कुछ हुआ, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। भारत इस लड़ाई में फ्रांस के साथ है।

साझा कार्रवाई पर जोर
किसी देश का नाम लिए बिना भारत ने कहा कि ऐसी आतंकी गतिविधियों को किसका समर्थन प्राप्त है, यह सर्वविदित है। लिहाजा, हमें एक समन्वित और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए। हम इसे स्थगित करने के बारे में नहीं सोच सकते। कट्टरपंथ को आतंक का जन्मदाता बताते हुए भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि हम यह दिखावा नहीं कर सकते कि इस तरह की कार्रवाइयां सिर्फ लोन-वुल्फ पहल और गुमराह व्यक्तियों से होती हैं। कट्टरपंथ का एक बुनियादी ढांचा है, जिसमें इसकी ऑनलाइन अभिव्यक्तियां भी शामिल हैं। 

विदेश सचिव ने कई मुद्दों पर की बात
फ्रांस के घटनाक्रमों के बीच भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला पेरिस की निर्धारित यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने फ्रांस के विदेश मंत्रालय के महासचिव फ्रैंकोइस डेल्ट्रे  और फ्रांसीसी राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार इमैनुएल बोने से मुलाकात की थी। सूत्रों के बताया कि विदेश सचिव ने आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त जंग, ग्लोबल वार्मिंग, समुद्री सुरक्षा, सतत विकास, मानदंडों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की है। महामारी काल में यह विदेश सचिव श्रृंगला की पहली गैर-पड़ोसी देश की यात्रा है। इससे पहले, वे बांग्लादेश और म्यांमार गए थे।