सार

आईएमएफ (International Monetary Fund) ने कर्ज देने के लिए पाकिस्तान के सामने ऐसी शर्ते रखी हैं जिसके बारे में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (PM Shehbaz Sharif) ने सपने में भी नहीं सोचा था।

इस्लामाबाद। कंगाली की हालत का सामना कर रहा पाकिस्तान (Pakistan Economic crisis) इन दिनों एक-एक डॉलर के लिए तरस रहा है। कर्ज के लिए दरवाजे-दरवाजे दस्तक दे रहा है, लेकिन अधिकतर मामलों में उसे मायूसी हाथ लग रही है। आईएमएफ (International Monetary Fund) की टीम पाकिस्तान द्वारा काफी मिन्नतें किए जाने पर कर्ज देने पर बात करने के लिए पाकिस्तान आई है। आईएमएफ ने कर्ज देने के लिए ऐसी शर्तें रखी हैं, जिनके बारे में पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने सपने में भी नहीं सोचा था।

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार आईएमएफ की टीम और सरकार के बीच तकनीकी वार्ता का पहला दौर शुक्रवार को संपन्न हुआ। इसके बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि आईएमएफ ऐसी शर्तें लगा रहा है जो उनकी कल्पना से परे है। नाथन पोर्टर की अध्यक्षता में आईएमएफ के प्रतिनिधिमंडल ने 31 जनवरी को सरकार के साथ बातचीत शुरू की। इस्लामाबाद में सात से अधिक विभागों के प्रतिनिधियों के साथ चार दिन तक वार्ता हुई।

काफी कड़ी शर्तें रख रहा आईएमएफ

आईएमएफ के साथ हुई बातचीत के बारे में शहबाज शरीफ ने एक कार्यक्रम में बताया कि वे काफी कड़ी शर्तें रख रहे हैं। उन्होंने कहा, “इस समय हमारी आर्थिक चुनौतियां अकल्पनीय हैं। हमें जिन शर्तों को पूरा करना है वे हमारी कल्पना से परे हैं।” शहबाज ने यह स्वीकार किया कि पाकिस्तान के पास इस वक्त इन शर्तों को पूरा करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।

आईएमएफ ने रखी हैं ये शर्तें

  • प्रति महीने 300 यूनिट से कम बिजली खर्च करने वालों को मिल रही छूट बंद की जाए। पाकिस्तान में 88 फीसदी बिजली उपभोक्ता इसी दायरे में आते हैं। ऐसा होता है तो बिजली की कीमत बढ़ेगी और गरीब तबके को सबसे ज्यादा नुकसान होगा।
  • घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों का तेजी से निजीकरण करना होगा।
  • केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में कटौती करनी होगी।
  • डीजल पर पेट्रोलियम विकास लेवी को मौजूदा 40 रुपए प्रति लीटर से बढ़ाकर 50 रुपए करना होगा। इसका मतलब है कि डीजल के दाम 10 रुपए प्रति लीटर बढ़ाना होगा।
  • जिन सामानों के आयात पर प्रतिबंध नहीं है उसके आयात को बहाल करना होगा। वर्तमान में 9,000 से अधिक कंटेनर पाकिस्तान के बंदरगाह पर फंसे हुए हैं। सरकार पेमेंट के लिए डॉलर जारी नहीं कर रही है।

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गौरतलब है कि शुक्रवार तक पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार में केवल लगभग 3.10 बिलियन अमेरिकी डॉलर बचा था। आयात की अनुमति दी जाती है तो यह 18 दिनों में खत्म हो जाएगा।

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