सार
एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड के नाम से बनाया है।
नई दिल्ली. कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए नीदरलैंड ने बड़ा कदम उठाया है। नीदरलैंड ने नीदरलैंड ने COVID-19 के खिलाफ वैक्सीनेशन के वैलिड प्रूफ के रूप में कोविशील्ड को मान्यता दी है। इससे पहले नीदरलैंड ने एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन को पैसों की बर्बादी बताते हुए रोक लगा दी थी।
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जिन भारतीयों को कोविशील्ड की दोनों डोज़ लग चुकी हैं, अब वो सभी यूरोप के इन नौ देशों में यात्रा कर सकेंगे। इनमें जर्मनी, स्लोवेनिया, ऑस्ट्रिया, ग्रीस, आयरलैंड, इस्तोनिया, स्पेन शामिल हैं। जबकि आइसलैंड और स्विट्ज़रलैंड ने भी कोविशील्ड को मंजूरी दे दी है।
क्यों लगाई गई थी रोक
एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग (खून के थक्के जमने) का खतरा बताया जा रहा है। इसी डर के चलते, यूरोपियन यूनियन के कई देशों ने एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन का रोलआउट रोक दिया था। इसके बाद स्पेन, पुर्तगाल, लतविया, बुल्गारिया, नीदरलैंड्स, स्लोवेनिया, लग्जमबर्ग, नॉर्वे, आयरलैंड ने भी इसका वैक्सीनेशन रोक दिया था।
एस्टोनिया ने दी मान्यता
एस्टोनिया दूतावास ने भारत में बने वैक्सीन्स को अपने देश में मान्यता देने की घोषणा की है। यूरोपीयन यूनियन के देशों ने भी अपने देश में यात्रा करने वालों के लिए कोविशील्ड का प्रतिबंध हटा दिया है। फिलहाल, एस्टोनिया के अलावा अभी कोवैक्सीन लगवाने वालों को यात्रा में किसी दूसरे देश ने छूट नहीं दी है।