सार

टीएलपी के प्रवक्ता मुफ्ती आबिद ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि रिजवी पार्टी हेडक्वॉर्टर, रहमतुल लील आलमीन मस्जिद पहुंच गए हैं। यहां रिजवी का सैकड़ों समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। 

लाहौर। पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) दुनिया के तमाम देशों के सामने झुक ही रहे हैं, अपने मुल्क में भी लगातार झुकना पड़ रहा है। दबाव के चलते इमरान सरकार को प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के प्रमुख हाफीज साद हुसैन रिजवी (Saad Hussain Rizvi) को जेल से रिहा करना पड़ा है। पिछले दिनों टीएलपी के उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद इमरान खान की सरकार को घुटनों के बल आना पड़ा था। इसके बाद समझौते के तहत आतंकियों की सूची से रिजवी का नाम हटाया गया था, अब जेल से रिहा कर दिया गया है।

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लाहौर में कोट लखपत जेल (Kot Lakhpat Jail) के सुपरिंटेंडेंट इजाज असगर ने इसकी पुष्टि की है। टीएलपी के प्रवक्ता मुफ्ती आबिद ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि रिजवी पार्टी हेडक्वॉर्टर, रहमतुल लील आलमीन मस्जिद पहुंच गए हैं। यहां रिजवी का सैकड़ों समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। पाकिस्तान सरकार ने साद हुसैन रिजवी को चौथी सूची से हटाने के बाद रिहा किया गया है। इस लिस्ट में उन लोगों के नाम हैं, जो आतंकवाद और अलगाववाद के संदेह में प्रतिबंधित हैं।

क्या है मामला?

पाकिस्तान की तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) संगठन के प्रमुख साद हुसैन रिजवी (Saad Hussain Rizvi) पर आतंकवाद, हत्या, हिंसा समेत 100 से अधिक केस दर्ज थे। पिछले छह महीने से साद रिजवी जेल में थे। बीते दिनों हुए सरकार से समझौते के बाद पाकिस्तान के पंजाब की सरकार ने साद हुसैन रिजवी के नाम को आतंकवादियों की लिस्ट से हटा दिया। क्षेत्रिय सरकार की तरफ से जो नोटिफिकेशन जारी किया गया था उसमें कहा गया कि रिजवी का नाम चौथे शिड्यूल आतंक-विरोधी (एक्ट) 1997 से हटा दिया गया है। उनको 12 अप्रैल 2021 को गिरफ्तार किया गया था। 

इमरान सरकार ने टीएलपी पर से भी प्रतिबंध हटा दिया

इमरान सरकार ने पहले ही टीएलपी  (Tehreek-E-Labbaik Pakistan) पर से प्रतिबंध हटा लिया है। पिछले हफ्ते ही हजारों टीएलपी कार्यकर्ताओं ने लाहौर से करीब 150 किलोमीटर दूर वजीराबाद में प्रदर्शन किया था। 

कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान, पैगंबर मोहम्मद की बेअदबी के मामले को लेकर काफी दिनों से आंदोलित थे। उग्र प्रदर्शन के दौरान इन लोगों की मांग थी कि पैगंबर की बेअदबी मामले में फ्रांस के राजदूत को देश से निकाला जाए। संगठन प्रमुख साद रिजवी को जेल से रिहा किया जाए। संगठन पर से प्रतिबंध हटाया जाए। इसके अलावा उसके लोग जो जेल में बंद हैं उनको भी रिहा किया जाए। 

अप्रैल में संगठन लगा था बैन

कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पर पाकिस्तान ने अप्रैल में ही प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। वहां के आतंकवाद निरोधी कानून के तहत संगठन पर कार्रवाई की गई है। तहरीक-ए-लब्बैक के प्रमुख मौलाना साद रिजवी की गिरफ्तारी के बाद उसके समर्थकों  ने पूरे पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया था जिसमें सात लोगों की मौत होने के साथ कम से कम तीन सौ पुलिसवाले जख्मी हो गए थे।  

पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री शेख रशीद अहमद ने बताया था कि तहरीक-ए-लब्बैक को एंटी टेररिज्म एक्ट 1997 के नियम 11बी के तहत बैन करने का निर्णय लिया गया। पंजाब प्रांत की सरकार द्वारा मिले प्रस्ताव पर सरकार ने यह निर्णय लिया। मंत्री रशीद अहमद ने बताया कि मारे गए लोगों में कई पुलिसवाले शामिल थे जबकि 340 से अधिक जवान घायल हो गए थे।

पाकिस्तान में फैली थी हिंसा

मौलवी साद रिजवी ने पैगंबर मोहम्मद का चित्र प्रकाशित किए जाने को लेकर फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से निष्कासित करने की मांग सरकार से की थी। रिजवी ने पाकिस्तान की सरकार को धमकी दी थी कि अगर राजदूत पर कार्रवाई नहीं की जाती तो उग्र प्रदर्शन होंगे। इस बयान के बाद पुलिस ने साद को 12 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया था। साद की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में उग्र हिंसक प्रदर्शन होने लगे थे। 

पांच साल पहले पड़ी थी टीएलपी की नींव

तहरीक-ए-लब्बैक की स्थापना खादिम हुसैन रिजवी ने 2017 में की थी। वे पंजाब के धार्मिक विभाग के कर्मचारी थे। साथ ही लाहौर की एक मस्जिद के मौलवी थे। लेकिन साल 2011 में जब पुलिस गार्ड मुमताज कादरी ने पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या की तो उन्होंने कादरी का खुलकर समर्थन किया। जिसके बाद उन्हें नौकरी से निष्कासित कर दिया गया।

जब 2016 में कादरी को दोषी करार दिया गया तो ईश निंदा और पैगंबर के 'सम्मान' के मुद्दों पर देशभर में विरोध शुरू किया। खादिम ने फ्रांस को एटम बम से उड़ाने की वकालत की थी। पिछले साल अक्टूबर में खादिम रिजवी की मौत हो गई थी। खादिम रिजवी की फालोइंग पाकिस्तान में इतनी ज्यादा थी कि कहते हैं कि लाहौर में उनके जनाजे में लाखों की भीड़ उमड़ी थी। खादिम रिजवी की मौत के बाद उनके बेटे साद रिजवी ने तहरीक-ए-लब्बैक पर कब्जा जमा लिया।

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