सार

पाकिस्तान को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। आतंकियों के पनाहगार पाकिस्तान को इस बार भी अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट में ही रहना होगा। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी। 

 

नई दिल्ली. पाकिस्तान को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। आतंकियों के पनाहगार पाकिस्तान को इस बार भी अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट में ही रहना होगा। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी। एफएटीएफ अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने बताया, पाकिस्तान ने 27 में से 21 पॉइंट्स पर काम किया। इसका मतलब ये है कि दुनिया पहले से ज्यादा सुरक्षित हुई है। लेकिन बकाया 6 पॉइंट्स पर काम ना करना गंभीर कमियां हैं, इन्हें पूरा करने की जरूरत है। 

उन्होंने कहा, पाकिस्तान सरकार को इन पॉइंट्स को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। इन्हें पूरा करने की समय-सीमा खत्म हो गई है। पाकिस्तान को फरवरी 2021 तक सभी प्लान को पूरा करने के लिए कहा गया है।

 

पाकिस्तान आतंकी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र की ओर से घोषित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों को सुरक्षित वातावरण मुहैया करा रहा है। पाकिस्तान 2018 से ही टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगा पाने में नाकाम रहने के चलते इस लिस्ट में बना हुआ है। 

पाकिस्तान ने 27 में से 21 कदम उठाए
बताया जा रहा है कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान से टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए  27 कदम उठाने के लिए कहा था। पाकिस्तान ने अभी तक 21 कदम उठाए हैं, जबकि 6 पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसमें  मसूद, हाफिज सईद, दाऊद और लखवी जैसी आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई ना करना भी शामिल हैं। 

इन पॉइंट्स पूरे नहीं कर पाया पाकिस्तान
- पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों से जुड़े धर्मार्थ संगठनों या एनपीओ (गैर-लाभकारी संगठन) के खिलाफ कार्रवाई की कमी, मसूद, हाफिद सईद, दाऊद और लखवी जैसे आतंकियों पर ठोक कार्रवाई ना करना, नशीले पदार्थों के जरिए टेरर फंडिंग पर नकेल कसने और गैरकानूनी पत्थर समेत खनन उत्पादों की तस्करी रोकने जैसे कदम उठाने में नाकाम रहा है। 

क्यों ब्लैक लिस्टेड नहीं हुआ पाकिस्तान
तुर्की, चीन और मलेशिया जैसे देश पाकिस्तान को लगातार समर्थन करते हैं। इसी समर्थन के चलते इससे पहले पाकिस्तान दो बार एफएटीएफ ब्लैक लिस्ट में धकेले जाने से बचा है। बताया जा रहा है कि इस बार भी इन देशों ने पाकिस्तान का समर्थन किया है। पाकिस्तान को ब्लैक लिस्टेड होने से बचने के लिए सिर्फ 3 वोटों की जरूरत थी। वहीं, उसे ग्रीन लिस्ट से बाहर आने के लिए 13 वोटों की जरूरत पड़ती। 

क्या है एफएटीएफ?
 एफएटीएफ का गठन 1989 में हुआ था। कई देश इसके सदस्य हैं। एफएटीएफ टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था है। दूसरे शब्दों में इसे आतंकियों का पालन पोषण करने वालों और उन्हें पैसा मुहैया कराने वालों पर नजर रखने वाली एजेंसी भी कहा जाता है।

ग्रे लिस्ट में रहने से आती हैं क्या मुसीबतें?
अगर कोई देश एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल होता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपी संघ से आर्थिक मदद हासिल करने में मुसीबत होती है।