सार

अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने पैक्सलोविड को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है। इस टैबलेट का इस्तेमाल कोरोना के इलाज में होगा। 12 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना के इलाज के दौरान यह टैबलेट दिया जा सकेगा। 

वाशिंगटन। कोरोना के डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण अभी कम हुआ नहीं था कि नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) ने दुनिया में दहशत फैला दी है। अभी तक टीके को ही कोरोना के खिलाफ जंग में प्रमुख हथियार माना जाता था, लेकिन अब एक ऐसा टैबलेट भी बाजार में आ गया है, जिससे कोरोना का इलाज किया जा सकता है। पैक्सलोविड (Paxlovid) नाम के इस टैबलेट को अमेरिकी दवा निर्माण फाइजर (Pfizer) ने बनाया है। यह मरीज की मौत का जोखिम 88 फीसदी तक कम कर सकता है।

अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ( Food and Drug Administration) ने पैक्सलोविड को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है। इस टैबलेट का इस्तेमाल कोरोना के इलाज में होगा। 12 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना के इलाज के दौरान यह टैबलेट दिया जा सकेगा। एफडीए के वैज्ञानिक पैट्रिजिया कैवाजोनी ने कहा है कि कोरोना के इलाज के लिए एक टैबलेट सफलतापूर्वक बना ली गई है। कोरोना के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में यह ऐतिहासिक कदम है। वहीं, फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अध्यक्ष अल्बर्ट बोरूला ने कहा है कि इसका परीक्षण 2200 लोगों पर किया गया। इसके अप्रत्याशित परिणाम सामने आए। टैबलेट  मरीजों के मौत का जोखिम 88 फीसदी तक कम कर सकता है। 

ओमिक्रॉन के खिलाफ नहीं हुआ है टेस्ट 
फाइजर की टैबलेट पैक्सलोविड का परीक्षण कोरोना संक्रमितों पर किया गया था, लेकिन इसका टेस्ट कोराना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मरीजों पर नहीं किया गया है। ऐसे में यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह ओमिक्रॉन के खिलाफ कितना कारगर साबित होगा। फाइजर कंपनी द्वारा बताया गया है कि उनकी दबा प्रॉटीज की गतिविधि रोक देता है। प्रॉटीज एक एंजाइम है जो वायरस को रेप्लिकेट (संख्या बढ़ाने) में मदद करता है। बता दें कि इस दवा को अमेरिका में भले मंजूरी मिल गई हो, लेकिन यह अभी भारत में नहीं बिक सकती। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अनुमति दिए जाने पर ही इसे भारतीय बाजार में बेचा जा सकेगा। 
 

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