सार
आज हम आपको वो 20 बड़े कारणों के बारे में बताने जा रहा है, जिसकी वजह से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है।
इंटरनेशल डेस्क : रूस-यूक्रेन विवाद की असली वजह की पड़ताल: रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। मौत की संख्या पता नहीं चल पा रही है, बताया जा रहा है कि कई सौ लोग घायल हैं। हजारों लोगों को बेघर होना पड़ रहा है। कई देशों के नागरिक भी यहां फंसे हुए हैं। इस युद्ध की वजह से यूरोप में विश्वयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं। इस समय पूरी दुनिया की नजरें इन दोनों देशों पर टिकी हुई हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं सोवियत संघ के जमाने से एक दूसरे के घनिष्ट मित्र रहे इन दोनों देशों में आखिर विवाद कैसे हो गया। Asianetnews Hindi ने विदेश मामलों के जानकार अभिषेक खरे से रूस और यूक्रेन के बीच हुए विवाद को बहुत बारीकी से समझने की कोशिश की। एक्सपर्ट ने 20 आसान बिंदुओं के माध्यम से इस पूरे विवाद की असली वजह को समझाया...
क्या है यूक्रेन का इतिहास
1- 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियंत संघ (ussr) का हिस्सा था।
2- यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है।
रूस-यूक्रेन विवाद की सबसे बड़ी वजह क्या है...
3- वैसे तो रूस और यूक्रेन के बीच विवाद की कई वजहें हैं, लेकिन इसमें सबसे बड़ी वजह नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) को माना जाता है। जिसकी वजह से एक युद्ध शुरू हुआ है।
4- 1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निबटने के लिए अमेरिका ने नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) का गठन किया था। इस संगठन को रूस को कांउटर करने के लिए बनाया गया था।
5- अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं।
6- यदि कोई देश नाटो देश पर हमला करता है तो वह हमला पूरे नाटो देश पर माना जाएगा, जिसका मुकबला सभी नाटो सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं।
7- यूक्रेन भी नाटो में शामिल होना चाहता है, लेकिन ये बात रूस को रास नहीं आ रही है। इसी वजह से विवाद जारी है।
8- रूस का मानना है कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल हुआ तो उसके सैनिक रूस-यूक्रेन की सीमा पर डेरा जमा लेंगे। इस वजह से रूस को लगता है कि नाटो जैसे संगठन के सैनिक अगर उस सीमा पर आ जाते हैं तो उसके लिए समस्या हो सकती है।
9- रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार न करे। राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दवाब डाल रहे थे।
10-नाटो में 30 लाख से अधिक सैनिक हैं. जबकि रूस के पास सिर्फ 12 लाख सैनिक हैं। जिसकी वजह से रूस को खतरा महसूस होता है।
11- इस वजह से रूस किसी भी कीमत पर यूक्रेन को इसका सदस्य नहीं बनने देना चाहता है।
12- रूस चाहता है कि नाटो उसे लिखित में आश्वासन दे कि वो यूक्रेन को नाटो में कभी शामिल नहीं करेंगे। इसके अलावा रूस का कहना है कि नाटो उन देशों को शामिल न करें, जो देश यूरोपीय संघ से अलग हुए हैं और नाटो इसे लिखित रूप में दे।
13- क्रीमिया विवाद (2014) - रूस ने 2014 में यूक्रेन का शहर क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। दरअसल क्रीमिया में एक बंदरगाह है, जो रूस के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह ऐसा पोर्ट है जो रसिया को 12 मासिय समुद्र से कनेक्टिविटी देता है। एक विवाद की वजह यह भी है कि क्रीमिया में ज्यादातर लोग रसियन बोलने वाले हैं, जो रूस से अधिक लगाव रखते हैं। इस वजह से यूक्रेन डरा हुआ है कि रसिया उसके और भी क्षेत्र पर कब्जा कर सकता है, इसलिए वह नाटो में शामिल होना चाहता है।
14- रूस और यूरोप गैस पाइपलाइन विवाद भी एक वजह है। दरअसल, रूस इस पाइपलाइन के जरिए गैस को यूरोप तक भेजता था। ये पाइपलाइन यूक्रेन से होकर जाती थी, रूस को उन्हें ट्रांजिट शुल्क देना पड़ता है। रूस हर साल करीब 33 बिलियन डॉर का भुगतान युक्रेन को कर रहा था। ये राशि युक्रेन के कुल बजट की 4 फीसदी थी. रूस को इस कारण बहुत महंगा (10 बिलियन डॉलर) नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइप लाइन की शुरुआत करना पड़ा। इसके जरिए रूस ने समुद्रे में पाइपलाइन डालकर यूरोप को गैस पहुंचाई थी। ऐसे में रूस को लगता है कि अगर वे यूक्रेन के कुछ क्षेत्र पर कब्जा करते हैं तो उन्हें गैस पाइपलाइन भेजना आसन होगा।
14- रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 में शुरू हुआ, जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानूकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ, जबकि उन्हें रूस का समर्थन था।
15- यानुकोविच को अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनाकारियों के विरोध के कारण फरवरी 2024 में देश छोड़कर भागना पड़ा।
16- इससे खफा होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वहां के अलगाववादियों का समर्थन दिया। इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है।
17- फिर 2014 के बाद से रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच डोनबास प्रांत में संघर्ष चल रहा था। इससे पहले जब 1991 में यूक्रेन सोवियंत संघ से अलग हुआ था, तब भी कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों के बीच टकराव हुआ था।
18- आखिरकार रूस ने अमेरिका व अन्य देशों की पाबंदियों की परवाह किए बगैर 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला बोल दिया है।
20- अब यदि नाटो ने रूस पर जवाबी कार्रवाई की और यूरोप के अन्य देश इस जंग में कूदे तो तीसरे युद्ध का खतरा बढ़ सकता है।
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रूस और यूक्रेन विवाद का कौन करा सकता है समाधान
1. रूस
2. नाटो
3. यूएनओ
4. भारत
ये सभी देश या संस्थाएं मिलकर इस विवाद का सामाधन निकाल सकती हैं। पहला समाधान यह है कि नाटो यह सुनिश्चित करे कि वह यूक्रेन को नाटो सदस्य नहीं बनाएगा। भारत की भूमिका इसलिए अहम है कि वह रूस और अमेरिका का इस समय अच्छा मित्र है। इसलिए भारत मध्यस्त के रूप में प्रभावी भूमिका निभा सकता है। वहीं रूस को अपनी आक्रमता को कम करना होगा और यूएनओ को आगे आकर प्रभावी भूमिका निभाई होगी।
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