सार
Afghanistan में तालिबान की नई सरकार का 9/11 की बरसी पर ऐलान किया जा सकता है। सरकार की कमान मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को मिल सकती है।
काबुल. कई दिनों की टालमटोल के बाद Afghanistan में 9/11 की बरसी पर नई सरकार का ऐलान किया जा सकता है। माना जा रहा है कि ऐसा अमेरिका को चिढ़ाने हो रहा है। सरकार का मुखिया मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को बनाया जा सकता है। काबुल के स्थानीय मीडिया के अनुसार, हिब्तुल्लाह अखुंदजादा ने मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के नाम का प्रस्ताव रखा है। यह यानी इन्हें रईस-ए-जम्हूर या रईस उल वज़ारा का पद मिलेगा। मुल्ला बरादर और मुल्ला अब्दुस सलाम उनके डिप्टी के तौर पर काम करेंगे।
UN की टेरर लिस्ट में है हसन का नाम
इसका नाम संयुक्त राष्ट्र( UN) की Terror List में शामिल है। हसन अखुंद 2001 में अमेरिका के साथ युद्ध शुरू होने से पहले अफगानिस्तान में तालिबान सरकार में मंत्री था। कहा जाता है कि वो तालिबान के आध्यात्मिक नेता शेख हिबतुल्ला अखुंदजादा का करीबी है। यह सशस्त्र आंदोलन के संस्थापकों में से थे।
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तालिबान के संस्थापक बेटा संभाल सकता है रक्षा विभाग
सूत्रों के अनुसार तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे याकूब को रक्षा मंत्री, जबकि हक्कानी नेटवर्क के सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री का पद दिया जा सकता है। हसन अखुंद पिछले 20 साल से तालिबान के रहबरी शुरा का प्रमुख है। हसन अखुंद सैन्य पृष्ठभूमि के बजाय एक धार्मिक नेता के तौर पर जाना जाता है। इसका जन्म कंधार में हुआ। यह पिछली तालिबानी सरकार में भी कई खास पद संभाल चुका है। वहीं, अभी तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद को सूचना मंत्री बनाया जा सकता है।
सरकार के गठन से पहले कलह
हालांकि नई सरकार के गठन से पहले ही कई गुटों में मनमुटाव की खबरें आ रही हैं। तालिबान के दोहा, कंधार और आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के बीच पदों के बंटवारे को लेकर विवाद होने लगा है। पाकिस्तान किसी ऐसे नेता को सरकार का मुखिया बनाना चाहता है, तो उसके इशारे पर काम करे। हसन अखुंद इसमें फिट बैठता है।
ISI चीफ के काबुल दौरे से ही अटकलें शुरू हो गई थीं
पिछले दिनों जब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद काबुल के दौरे पर आए थे, तभी नई सरकार के मुखिया के तौर पर मुल्ला हसन अखुंद के नाम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई थी। इस बीच नई सरकार में महिलाओं की भागीदारी को लेकर भी प्रदर्शन होने लगे हैं। काबुल में महिलाओं ने पाकिस्तान मुर्दाबाद तक के नारे लगाए।