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आईकॉनिक ट्राइबल नेता बिरसा मुंडा की जयंती पर उप राष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री का यह दिखा गजब रूप

Nov 15 2022, 01:23 PM IST
नई दिल्ली. आइकॉनिक ट्राइबल लीडर बिरसा मुंडा की जयंती(tribal icon Birsa Munda birth anniversary) पर उन्हें जगह-जगह श्रद्धांजलियां दी गईं। संसद भवन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद भवन परिसर में बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित। इन्होंने कहा कि मातृभूमि के लिए प्रेम और उनका साहस सभी भारतीयों को प्रेरित करता रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आइकॉनिक ट्राइबल लीडर बिरसा मुंडा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनकी सरकार की विभिन्न योजनाओं के पीछे आदिवासी समुदाय की प्रेरणा रही है। एक रिकॉर्डेड वीडियो संबोधन में मोदी ने केंद्र सरकार के कई कल्याणकारी कार्यक्रमों का हवाला दिया और कहा कि करोड़ों आदिवासी परिवारों को इससे लाभ हुआ है और उनका जीवन आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित संग्रहालय उनके योगदान को मान्यता देने के लिए देश भर में बनाए जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने मुंडा की जयंती को 'जनजाति गौरव दिवस' के रूप में घोषित किया था। मोदी ने कहा कि भारत को आदिवासी विरासत से सीख लेकर अपने भविष्य को आकार देना है और आदिवासी गौरव दिवस इसके लिए एक अवसर और माध्यम बनेगा। उन्होंने कहा कि आदिवासी विरासत पर गर्व व्यक्त करना और समुदाय के विकास का संकल्प 'पंच प्राण' की ऊर्जा का हिस्सा है, देश के लिए पांच प्रतिज्ञाएं उन्होंने अपने हालिया स्वतंत्रता दिवस के भाषण में रेखांकित की हैं। प्रधान मंत्री ने कहा कि मुंडा और कई अन्य आदिवासी नायकों के सपनों को पूरा करने के लिए देश आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि मुंडा न केवल स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक हैं बल्कि देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ऊर्जा के भी प्रतीक हैं। मोदी ने मुंडा के अलावा अन्य प्रमुख आदिवासी क्रांतिकारियों में तिलका मांझी, सिद्धू और कान्हू और टाना भगत का नाम लिया और विदेशी शासकों के खिलाफ उनके संघर्ष को श्रद्धांजलि दी। आगे देखें कुछ तस्वीरें...

बीरभूम हिंसा: वामपंथ के वक्त से कुख्यात रहा है बोगतई, कई घंटे खून-खराबा करते रहे 100 बाइकर्स, सनसनीखेज खुलासे

Mar 23 2022, 12:21 PM IST
काेलकाता. पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट के जिस बोगतई गांव में सोमवार रात हिंसा(West Bengal Political Violence) हुई थी, वो आज से नहीं; वामपंथ के समय से कुख्यात रहा है। यहां हर गैरकानूनी धंधे होते रहे हैं। जिस TMC नेता की भादु शेख की हत्या को लेकर 8 लोगों को जिंदा जला दिया गया, कहा जा रहा है कि गैरकानूनी धंधों को उसका भी संरक्षण मिला हुआ था। बीरभूम हिंसा ने सरकार और कानून व्यवस्था की भी सच्चाई सामने ला दी है। घटना के बाद से गांव में तनाव है। लोग बहुत डरे हुए हैं। वे कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं कि जब उपद्रवी घर जला रहे थे, तब पुलिस क्यों नहीं पहुंची? पुलिस को लाशें गठरी में बांधकर ले जानी पड़ीं। बताया जाता है कि करीब 100 बाइकर्स गांव में घुसे और घंटों तांडव करते रहे। इधर, गांव में दहशत के चलते पलायन होने लगा है। पढ़िए बोगतई गांव की कहानी...