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बीरभूम हिंसा: वामपंथ के वक्त से कुख्यात रहा है बोगतई, कई घंटे खून-खराबा करते रहे 100 बाइकर्स, सनसनीखेज खुलासे
काेलकाता. पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट के जिस बोगतई गांव में सोमवार रात हिंसा(West Bengal Political Violence) हुई थी, वो आज से नहीं; वामपंथ के समय से कुख्यात रहा है। यहां हर गैरकानूनी धंधे होते रहे हैं। जिस TMC नेता की भादु शेख की हत्या को लेकर 8 लोगों को जिंदा जला दिया गया, कहा जा रहा है कि गैरकानूनी धंधों को उसका भी संरक्षण मिला हुआ था। बीरभूम हिंसा ने सरकार और कानून व्यवस्था की भी सच्चाई सामने ला दी है। घटना के बाद से गांव में तनाव है। लोग बहुत डरे हुए हैं। वे कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं कि जब उपद्रवी घर जला रहे थे, तब पुलिस क्यों नहीं पहुंची? पुलिस को लाशें गठरी में बांधकर ले जानी पड़ीं। बताया जाता है कि करीब 100 बाइकर्स गांव में घुसे और घंटों तांडव करते रहे। इधर, गांव में दहशत के चलते पलायन होने लगा है। पढ़िए बोगतई गांव की कहानी...
| Published : Mar 23 2022, 12:21 PM IST / Updated: Mar 23 2022, 12:26 PM IST
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बीरभूम हिंसा के बाद डरे-सहमे लोग गांव छोड़कर जा रहे हैं। इन लोगों ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि वे सुरक्षा के मद्देनजर घर छोड़कर जा रहे हैं। एक पीड़िता ने कहा कि घटना में उसके देवर की मौत हो गई। अगर पुलिस सक्रिय होती, तो यह घटना नहीं होती।
बोगतई राजधानी कलकत्ता से लगभग 220 किमी की दूरी पर स्थित है। इसकी आबादी 2,000 के करीब है। बोगतई के बारे में मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रह है कि यह गांव वामपंथ के समय से हिंसा और अपराध का शिकार रहा है। यहां कई गैरकानूनी गतिविधियां जैसे-कच्चे बमों का निर्माण, हथियारों की आपूर्ति और अवैध रेत और पत्थर खनन होता रहा है। पुलिस इन पर काबू करने में नाकाम रही है। माना जा रहा है कि भादू का इन गैर कानूनी धंधों को संरक्षण मिला हुआ था। पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग करने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ANI से कहा, "हम सभी ऐसे अवैध व्यापार में पुलिस की भूमिका के बारे में जानते हैं, जो स्थानीय तृणमूल गुंडों द्वारा नियंत्रित है।"
कुछ चश्मदीदों और पीड़ितों के रिश्तेदारों ने बताया कि भादू की मौत के आधे घंटे के भीतर करीब 100 बाइक सवार हमलावर सोमवार को रात करीब साढ़े नौ बजे गांव में घुसे। वे कई घंटों तक हंगामा करते रहे। फिर घरों में आग लगा दी गई। कहा जा रहा है कि हमलावरों ने घरों पर पेट्रोल छिड़का और फिर आग लगाने के लिए बमों का इस्तेमाल किया।
हिंसा के बाद राजनीति भी गर्मा गई है। गांव में नेताओं की आवाजाही बढ़ गई है। इस बीच दिल्ली में बीजेपी सांसद दिलीप घोष( BJP MP Dilip Ghosh in Delhi) ने कहा-हमें शर्म आती है कि पश्चिम बंगाल में ऐसी घटना हुई। बेगुनाहों, बच्चों को जिंदा जलाया, गांव छोड़कर जा रहे हैं लोग। राज्य में अब तक 200 से ज्यादा बीजेपी कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं. सरकार क्या कर रही है? इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
बीरभूम हिंसा में जिंदा जलने वालों में एक बच्चा और छह महिलाएं थीं। इनकी उम्र 7 से 52 साल के बीच है। इनमें एक नवविवाहित जोड़ा भी शामिल है। मरने वालों में सात एक-दूसरे के रिश्तेदार थे।
इधर, पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय (director-general of police Manoj Malaviya) ने कहा-“घटना में आठ लोग मारे गए थे। एक ही घर से सात शव बरामद किए गए। तीन घायलों में से एक की अस्पताल में मौत हो गई।