1990 के पहले महीने के दूसरे पखवाड़े से कश्मीर की मस्जिदों (Mosques of Kashmir) से अजान के साथ नारे गूजंने की भी आवाजें आनी शुरू हो गई थी। यह नारे थे 'कश्मीर में अगर रहना है, आल्लाहू अकबर कहना है', 'यहां क्या चलेगा, निजाम-ए-मुस्तफा', 'असि गछि पाकिस्तान, बटव रोअस त बटनेव सान' इसका मतलब हमें पाकिस्तान (Pakistan) चाहिए और हिंदू औरतें भी मगर अपने मर्दों के बिना। यह तमाम नारे कश्मीरी हिंदू पंडितों (Kashmiri Hindu Pandits) के लिए थे।