इस बार ज्येष्ठ मास की अमावस्या 30 मई, सोमवार को है। सोमवार को अमावस्या होने से ये सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2022) कहलाएगी। हिंदू धर्म ग्रंथों में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है।
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अचला (Achala Ekadashi 2022) और अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2022) के नाम से जाना जाता है। इस बार ये एकादशी 26 मई, गुरुवार को है।
एक नई रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया है कि भारत सहित वैश्विक स्तर पर रैंसमवेयर उल्लंघनों में खतरनाक वृद्धि हुई है, जिसमें पिछले एक साल में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो पिछले 5 वर्षों की तुलना में अधिक है।
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान शनिदेव का जन्म हुआ था। इस बार ये तिथि 30 मई, सोमवार को है।
इस बार 22 मई, रविवार को भानु सप्तमी (Bhanu Saptami 2022) का योग बन रहा है। धर्म ग्रंथों में इस पर्व का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
गर्मी किे दिनों में चिलचिलाती धूप, उमस और गर्म हवाएं चलती हैं, जिनके चलते अक्सर लोग लू के शिकार हो जाते हैं। लेकिन एक प्याज से वह खुद को लू से बचा सकते हैं। खुद केंद्रीय नागरिक उड्डयन एवं विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी यह तरीका अपनाते हैं।
हर महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए पूजा व व्रत किया जाता है। इस बार 19 मई, गुरुवार को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। इस दिन संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi May 2022) का व्रत किया जाएगा।
कोरोना का प्रकोप फिर से बढ़ रहा है। कई देशों में कोरोना के चौथी लहर (Covid 4th wave) कोहराम मचा रही है। कोरोना में सबसे ज्यादा बुखार परेशान करता है। ये कई हफ्तों तक बना रह सकता है। इसके लिए घरेलू उपाय हम आपको बता रहे हैं जिससे आप कोरोना को मात दे सकते हैं।
आज (14 मई, शनिवार) वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (Narasimha Jayanti 2022) तिथि है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लेकर हिरण्यकशिपु का वध किया था।
दुनिया के जितने भी धर्म हैं, उन सभी में शकुन-अपशकुन से जुड़ी कुछ मान्यताएं जरूरी होती हैं। हिंदू धर्म भी इसका अछूता नहीं है। यहां हर मामले में शकुन-अपशकुन जरूर देखा जाता है। इसकी पूरी जानकारी शकुन शास्त्र में देखी जाती सकती है।