कालसर्प दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है, उसे अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि पर पितरों की प्रसन्नता के लिए नवमी का श्राद्ध किया जाता है।
हायपरग्लेशिमिया में ब्लड शुगर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इससे कई तरह की परेशानी हो सकती है। इससे बचने के लिए क्या करें, यह जानना जरूरी है।
इस बार श्राद्ध पक्ष की शुरूआत 13 सितंबर से होगी, जो 28 सितंबर तक रहेगा। इन 16 दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए रोज श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि किए जाते हैं।
श्राद्ध पक्ष में विधि-विधान पूर्वक श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। आज के समय में देखा जाए तो विधिपूर्वक श्राद्ध कर्म करने में धन की आवश्यकता होती है। पैसा न होने पर श्राद्ध नहीं किया जा सकता। ऐसे में पितृ दोष होने से कई प्रकार की समस्याएं जीवन में बनी रहती हैं। लेकिन श्राद्ध न कर पाने की स्थिति में आप कुछ आसान उपाय कर पितृ दोष से होने वाली समस्याओं से बच सकते हैं।
बरसात के मौसम और उसके बाद डेंगू के साथ चिकनगुनिया का प्रकोप भी होता है। यह भी एक तरह की वायरल बीमारी है जो मच्छरों के काटने से होती है।
कुंडली में गुरू की स्थिति काफी महत्वपूर्ण होती है। जिन लोगों की कुंडली में ये ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें किसी भी काम में आसानी से सफलता नहीं मिल पाती है और जीवन में लगातार परेशानियां बनी रहती हैं।
मुंह में छाले होना एक आम समस्या है। हर किसी को ये छाले हो जाते हैं। कुछ घरेलू उपाय अपना कर इनसे बचा जा सकता है।
हर इंसान की जन्म कुंडली उसके पूरे जीवन के बारे में कुछ न कुछ संकेत देती ही है। इसी तरह अगर किसी की कुंडली में दुर्घटना योग होते हैं तो अक्सर उनके साथ दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कई बार ये लोग बहुत ही सावधानी पूर्वक वाहन चलाते हैं फिर भी इनके साथ ही दुर्घटना होती रहती है। दुर्घटना के इन योगों से बचने के लिए ज्यातिष में कुछ उपाय भी बताए गए हैं। जानिए कुछ ऐसे ही खास उपायों के बारे में....
भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मोरयाई छठ का व्रत रखा जाता है। इसे मोर छठ या कुछ स्थानों पर सूर्य षष्ठी व्रत भी कहते हैं। इस बार यह व्रत 4 सितंबर, बुधवार को है।