पितरों के मोक्ष के लिए बिहार के गया जिले में पिंडदान किया जाता है। पिंडदान के लिए राज्य के विभिन्न जिलों के साथ-साथ देश-विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं। हाल ही में पिंडदान के लिए गया में रूस से 50 श्रद्धालु आए।
कई लोग साधु-संतों को देखकर कह देते हैं कि इन्हें दुनिया से क्या? साधु बनना तो बहुत आसान है। मगर हकीकत ये है कि साधु, सन्यासी बनने की राह इतनी कठिन होती है कि अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाएं।
यूं तो हमारे देश में श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण के लिए कई तीर्थ हैं, लेकिन उनमें से कुछ तीर्थ ऐसे भी हैं, जिनका वर्णन धर्म ग्रंथों में भी मिलता है।
श्राद्ध पितरों को प्रसन्न करने का एक माध्यम होता है।
16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में लोग अपने घरों में तो पूजा आदि करते ही हैं, साथ ही पवित्र तीर्थों पर भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान करते हैं।