बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के तीन दशक बाद तीर्थ नगरी के लोग अब पुराना सबकुछ भुलाकर जिंदगी में आगे बढ़ गए हैं। ज्यादातर लोग मंगलवार(6 दिसंबर) को उसकी बरसी को किसी अन्य दिन की तरह ही सामान्य ही मान रहे हैं। अब अयोध्या में 30 साल पहले यानी 6 दिसंबर के दिन जैसा टाइट सिक्योरिटी अरेंजमेंट नहीं दिखता।