सार
आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 13 जुलाई, बुधवार को है। इस दिन लोग अपने-अपने धार्मिक, आध्यात्मिक, शैक्षणिक गुरुओं का सम्मान करते हैं। कुछ विशेष आयोजन भी इस दिन गुरुओं के सम्मान में आयोजित किए जाते हैं।
उज्जैन. हमारे धर्म ग्रंथों में कई ऐसे गुरुओं के बारे में बताया गया है, जो आज भी हमारे लिए एक आदर्श हैं। ऐसे ही एक गुरु हैं परशुराम (Parashuram)। ये भगवान विष्णु के अवतारों में से एक हैं। इनके पिता का नाम ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका है। अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए इन्होंने कई बार धरती से क्षत्रियों का नाश कर दिया था। सतयुग से लेकर द्वापरयुग तक इनका वर्णन धर्म ग्रंथों में मिलता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान परशुराम आज भी जीवित हैं और कहीं तपस्या कर रहे हैं। आगे जानिए गुरु परशुराम से जुड़ी खास बातें…
जब अपने ही शिष्य को नहीं हरा पाए परशुराम
महाभारत के अनुसार, भीष्म ने अपने भाई विचित्रवीर्य के लिए काशी की राजकुमारियों का हरण कर लिया, लेकिन जब उन्हें पता चला कि अंबा नाम की राजकुमारी किसी और राजकुमार से प्रेम करती है तो उन्होंने उसे ससम्मान हस्तिनापुर से जाने दिया। हरण हो जाने के कारण राजकुमार ने उससे विवाह करने से इंकार कर दिया। तब अंबा गुरु परशुराम के पास पहुंची और अपनी परेशानी बताई। गुरु परशुराम भीष्म के पास आए और उन्हें अंबा से विवाह करने के लिए कहा, लेकिन ब्रह्मचारी होने के कारण भीष्म ने इंकार कर दिया। इस बात को लेकर गुरु परशुराम और उनके शिष्य भीष्म में युद्ध हुआ, लेकिन दोनों में से किसी की हार नहीं हुई। देवताओं ने आकर इस युद्ध को रुकवाया। इस तरह परशुराम अपने शिष्य भीष्म को नहीं हरा पाए।
कुरुक्षेत्र युद्ध में परशुराम के 3 शिष्य थे
जब कौरव और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र में धर्म युद्ध हुआ तो उसमें कौरवों की ओर से गुरु परशुराम के 3 शिष्यों ने युद्ध किया था। ये थे अंगराज कर्ण, भीष्म और गुरु द्रोणाचार्य। अंगराज कर्ण ने झूठ बोलकर गुरु परशुराम से शिक्षा प्राप्त की थी, इसीलिए स्वयं गुरु परशुराम ने ही उन्हें श्राप दिया था कि “जब मेरी सिखाई हुई शिक्षा की तुम्हें सबसे ज्यादा जरूरत होगी, तो वो तुम्हारे किसी काम नहीं आएगी।” ऐसा ही हुआ और अंगराज कर्ण अजुर्न के हाथों मारे गए।
आगे जानिए गुरु परशुराम से जुड़ी और भी खास बातें…
1. जब श्रीराम ने सीता स्वयंवर में शिव धनुष तोड़ा तो क्रोधित परशुराम वहां आ गए, लेकिन जब उन्होंने श्रीराम को देखा तो उनका क्रोध शांत हो गया। परशुराम ने श्रीराम की परीक्षा लेने के लिए धनुष पर बाण चढ़ाने को कहा। श्रीराम ने आसानी से ये काम कर दिया, जिसे देख परशुराम अपने स्थान पर लौट गए।
2. अपने पिता के कहने पर गुरु परशुराम ने अपनी माता रेणुका का ही वध कर दिया था। प्रसन्न होकर जब पिता ने उनसे वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने माता को पुन: जीवित करने का कहा। पिता जमदग्नि ने परशुराम से प्रसन्न होकर उनकी इच्छा पूरी की।
3. भगवान श्रीकृष्ण जब उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) में शिक्षा प्राप्त करने आए तो यहीं पर परशुराम ने उन्हें सुदर्शन चक्र दिया था। इसी सुदर्शन चक्र से श्रीकृष्ण ने शिशुपाल आदि कई अधर्मियों का वध किया था।
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