सार

आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2022) का त्योहार मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 13 जुलाई, बुधवार को है। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। ये पर्व महर्षि वेदव्यास के सम्मान में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन उनका जन्म हुआ था।

उज्जैन.  आज (13 जुलाई, बुधवार) गुरु पूर्णिमा है। इस दिन लोग अपने-अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं और कुछ न कुछ चीजें उपहार स्वरूप देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भी इस तिथि को बहुत ही शुभ माना गया है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में गुरु ग्रह यदि प्रतिकूल स्थान पर हो यानी शुभ फल न दे रहा हो, वे यदि इस दिन कुछ विशेष उपाय करें तो उनकी परेशानी दूर हो सकती है। आगे जानिए गुरु अगर अनुकूल न हो तो जीवन में किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है और गुरु ग्रह से शुभ फल पाने के लिए गुरु पूर्णिमा पर कौन-से उपाय करें…  

गुरु प्रतिकूल हो तो ऐसा होता है लाइफ पर असर
1.
जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह अशुभ होता है उसके विवाह में कई परेशानियां आती हैं। कई बार बात बनते-बनते बिगड़ जाती है। या काफी उम्र हो जाने के बाद भी मनचाहा जीवनसाथी नहीं मिल पाता।
2. गुरु अशुभ स्थिति में हो तो ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन भी अशांति से भरा होता है। या तो पति-पत्नी में रोज विवाद होता है या विवाह संबंध टूट जाता है। कई बार स्थिति और भी बिगड़ जाती है।
3. गुरु ग्रह अगर अशुभ हो तो व्यक्ति को पेट से सबंधित रोग, अपच, पेट दर्द, एसिडिटी, कमज़ोर पाचन तंत्र, कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा बना रहता है।

गुरु पूर्णिमा पर ये उपाय करें (Guru Purnima Ke Upay)
1.
गुरु ग्रह से संबंधित शुभ फल पाने के लिए गुरु पूर्णिमा पर केले का एक पौधा लगाएं और रोज उस पर जल चढ़ाएं और देखभाल करें। केले का पौधा गुरु ग्रह से संबंधित है। प्रत्येक गुरुवार हल्दी मिश्रित जल भी केले के पौधे पर चढ़ाएं। इससे आपको गुरु ग्रह से संबंधित शुभ फल मिलने लगेंगे।
2. गुरु पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत भी रखें। इस दिन पीले कपड़े पहनें और ब्राह्मणों को पीले वस्त्रों का दान करें। संभव हो तो किसी मंदिर में केसरिया ध्वज दान करें। इन उपायों से भी गुरु ग्रह से लाभ मिलने लगता है।
3. गुरु पूर्णिमा पर जरुरतमंदों को पीले फल जैसे केले, आम आदि का दान करें। पीला अनाज जैसे दाल का दान करें। 
4. गुरु पूर्णिमा से शुरू कर नीचे लिखे मंत्रों में से किसी एक का रोज जाप करना चाहिए-बृहस्पति एकाक्षरी बीज मंत्र- ऊं बृं बृहस्पतये नम:।
बृहस्पति तांत्रिक मंत्र- ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।।
बृहस्पति गायत्री मंत्र- ऊं आंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव:प्रचोदयात्।।
इन मंत्रों का जाप उत्तर दिशा की ओर मुख करके किया जाए तो शुभ रहता है। 


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