सार

हिंदू धर्म के अनुसार, एक साल में 24 एकादशी आती है, इन सभी का महत्व अलग-अलग है और नाम भी। इसी क्रम में आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2022) कहते हैं। इस बार ये एकादशी 10 जुलाई, रविवार को है।

उज्जैन.आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस बार ये तिथि 10 जुलाई, रविवार को है। ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से अगले चार महीनों तक भगवान विष्णु पाताल में निवास करते हैं। इस दौरान सृष्टि का भार महादेव संभालते हैं। इन चार महीनों में सावन, भादौ, आश्विन और कार्तिक मास आते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु पुन: जागते हैं, इसे देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। देवशयनी एकादशी से जुड़े कई नियम भी हैं। जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत करता है, उन्हें इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है। अगर कोई व्रत न भी रखे तो कुछ बातों का ध्यान तो सभी को रखना चाहिए। आगे जानिए देवशयनी एकादशी के नियमों के बारे में…

1. चावल न खाएं
देवशयनी एकादशी पर अगर व्रत नहीं भी रखें तो चावल भूलकर भी खाएं या चावल से बनी अन्य चीजें जैसे पोहा, पुलाव आदि न खाएं। एकादशी पर चावल खाने की सख्त्त मनाही है। जो व्यक्ति एकादशी पर चावल खाता है उसे अपने जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है। 

2. तामसिक चीजें न खाएं
देवशयनी एकादशी पर पूर्ण रूप से सात्विक आचार-विचार रखना चाहिए। इस दिन भूलकर भी तामसिक चीजें जैसे मांस, प्याज, लहसुन आदि नहीं खाना चाहिए। और न ही किसी तरह का नशा करना चाहिए। यहां तक कि तंबाकू और सिगरेट भी नहीं पीनी चाहिए। देवशयनी एकादशी पर पान भी नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये राजसी चीजों में आता है। इन सभी चीजों में मन में विकार यानी बुरे विचार आ सकते हैं। 

3. मन में न लाएं बुरे विचार
देवशयनी एकादशी पर किसी के प्रति बुरे विचार भी मन में नहीं लाना चाहिए और न ही किसी की बुराई दूसरे के सामने करना चाहिए। अगर आपके मन में किसी के प्रति द्वेष, ईर्ष्या, लोभ आदि हो तो इस दिन इन विकारों से दूर ही रखना चाहिए। मन में सिर्फ भगवान के प्रति आस्था और भक्ति का भाव होना चाहिए। तभी आपकी पूजा सार्थक हो सकती है।

4. ब्रह्मचर्य का पालन करें
देवशयनी एकादशी पर पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करें। सिर्फ शरीर से ही नहीं बल्कि मन से भी। इस दिन ऐसे विचार भी मन में न लाएं जो ब्रह्मचर्य के नियमों के विरुद्ध हों। मन पर पूरी तरह से नियंत्रण रखें और सिर्फ भगवान के मंत्रों का जाप ही पूरे समय करते रहें। रात में भी जमीन पर सोएं सिर्फ चटाई बिछा सकते हैं, बिस्तर का उपयोग भी न करें।


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