सार
6 सितंबर, सोमवार को भाद्रपद मास की अमावस्या है। इसे कुशग्रहणी (Kushagrahani Amavasya 2021) और कुशोत्पाटिनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार पुरातन समय में इस तिथि पर वर्ष भर में किए जाने वाले धर्म-कर्म के लिए कुश यानी एक प्रकार की घास का संग्रह किया जाता था।
उज्जैन. इस बार 6 सितंबर, सोमवार कुशग्रहणी अमावस्या (Kushagrahani Amavasya 2021) हैं। इस दिन साल भर में आने वाले कार्यों के लिए कुशा नाम की घास एकत्रित की जाती है। इसी वजह से इसे कुशग्रहणी अमावस्या (Kushagrahani Amavasya 2021) कहते हैं। इस अमावस्या पर पितृ देवताओं के लिए श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और स्नान के बाद दान करना चाहिए। इससे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
ये है कुश का धार्मिक महत्व
- भाद्रपद की अमावस्या पर कुश घास इकट्ठा की जाती है। ध्यान रखें जो कुश इकट्ठा कर रहे हैं, उसमें पत्ती हो, आगे का भाग कटा न हो और हरा हो।
- ऐसी कुश देवताओं और पितर देवों के पूजन कर्म के लिए श्रेष्ठ होती है। कुश घास इकट्ठा करने के लिए सूर्योदय का समय शुभ माना जाता है।
- धर्म-कर्म में कुश से बने आसन पर बैठने का महत्व है। पूजा-पाठ करते समय हमारे अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा एकत्रित होती है।
- ये ऊर्जा शरीर से निकलकर धरती में न समा जाए, इसलिए कुश के आसन पर बैठकर पूजन करने का नियम है।
- कहा जाता है कि कुश के बने आसन पर बैठकर मंत्र जप करने से मंत्र जल्दी सिद्ध हो जाते हैं। इसके आसन पर बैठकर की गई पूजा जल्दी सफल हो सकती है।
कुशग्रहणी अमावस्या (Kushagrahani Amavasya 2021) पर करें ये शुभ काम
- इस तिथि पर देवी लक्ष्मी के साथ ही भगवान विष्णु की विशेष पूजा करें। पूजा में दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें।
- हनुमान मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- पीपल को जल चढ़ाकर सात परिक्रमा करें।
- शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।
- इस अमावस्या पर किसी गौशाला में धन और हरी घास का दान भी करना चाहिए।
- इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए।
- मछलियों के लिए नदी या तालाब में आटे की गोलियां बनाकर डालें।