भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के सबसे श्रेष्ठ अवतार माने जाते हैं। श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ, बचपन नंद गांव में बीता और शिक्षा उज्जैन में प्राप्त की।
उज्जैन. जन्माष्टमी (23 अगस्त) के मौके पर हम आपको कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे श्रीकृष्ण का खास संबंध रहा है। आज भी इन स्थानों पर श्रीकृष्ण की निशानियां मंदिर या अन्य रूपों में देखी जा सकती हैं।
1) मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि
मथुरा स्थित कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। अब यहां कारागार तो नहीं है, लेकिन अंदर का नजारा इस तरह बनाया गया है कि आपको लगेगा कि यहीं पैदा हुए थे श्रीकृष्ण। यहां एक हॉल में ऊंचा चबूतरा बना हुआ है, मान्यता हैं यह चबूतरा उसी स्थान पर है जहां श्रीकृष्ण ने धरती पर पहला कदम रखा था।
2) नंद गाव में बना नंदराय मंदिर
कंस के भय से वसुदेवजी यहीं नंदराय और माता यशोदा के पास श्रीकृष्ण को छोड़ गए थे। यहां नंदराय जी का निवास था और श्रीकृष्ण का बालपन गुजरा था। आज यहां भव्य मंदिर है, यहीं पास में एक सरोवर है, जिसे पावन सरोवर कहते हैं। माना जाता है कि इसी सरोवर में माता यशोदा श्रीकृष्ण को स्नान कराया करती थीं।
3) कुरुक्षेत्र का भद्रकाली मंदिर
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित भद्रकाली मंदिर के बारे में माना जाता है कि यह एक शक्तिपीठ है। यहां पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का मुंडन हुआ था। यहां आज भी भगवान श्रीकृष्ण के पद्चिन्ह मौजूद हैं। यहां श्रीकृष्ण के उन्हीं पद्चिन्हों और गाय के पांच खुरों के प्राकृतिक चिन्हों की पूजा की जाती है।
4) उज्जैन का सांदीपनि आश्रम
यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण ने बलराम और सुदामा के साथ गुरू सांदीपनि से शिक्षा प्राप्त किया था। कहते हैं यहीं पर श्रीकृष्ण ने भगवान परशुराम से सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था। उन दिनों यहां ऋषि आश्रम हुआ करता था। अब यहां एक मंदिर है, जहां श्रीकृष्ण के साथ बलराम और गुरु सांदीपनि की मूर्ति की पूजा होती है।
5) गुजरात का द्वारकाधीश मंदिर
मथुरा छोड़कर श्रीकृष्ण ने यहां अपनी नगरी बसाई थी। समुद्र के नीचे आज भी एक भव्य नगर होने के प्रमाण मिलते हैं। आज यह स्थान विष्णु भक्तों के लिए मोक्ष का द्वार माना जाता है।
6) कुरुक्षेत्र का ज्योतिसर तीर्थ
कुरुक्षेत्र में जहां श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। आज वह स्थान ज्योतिसर और गीता उपदेश स्थल के नाम से जाना जाता है। यहीं पर पीपल के वृक्ष के नीचे श्रीकृष्ण ने अमर गीता का ज्ञान दिया था। यहां आज भी वह पीपल का वह पेड़ मौजूद है, जिसके नीचे श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।