देवशयनी एकादशी 20 जुलाई को, इसके बाद 4 महीने तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य, जानिए इसका महत्व

इस बार 20 जुलाई, मंगलवार को देवशयनी एकादशी है। इस दिन से अगले 4 महीनों तक मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते। इस समय को चातुर्मास भी कहते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jul 18, 2021 2:36 AM IST / Updated: Jul 18 2021, 10:56 AM IST

उज्जैन. चातुर्मास में साधु, संत एक स्थान पर रहकर भगवान की उपासना और स्वाध्याय करते हैं। चातुर्मास के दौरान भगवान की पूजा-पाठ, कथा, साधना, अनुष्ठान से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। चातुर्मास में पूजा, पाठ, भजन, कीर्तन, सत्संग, कथा, भागवत के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है।

देवशयनी एकादशी का महत्व
- देवशयनी एकादशी से भगवान चार माह के लिए विश्राम करते है। इस दौरान चार माह तक मांगलिक और वैवाहिक कार्यक्रम करना वर्जित रहता है। हालांकि मांगलिक कार्यों की तैयारी और खरीदारी इन दिनों में की जा सकती है।
- स्कंद पुराण में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर के संवाद है। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को साल भर के सभी एकादशियों का महत्व बताया है।
- भगवान विष्णु के लिए इस तिथि पर व्रत किया जाता है। एकादशी पर विष्णु के साथ ही देवी लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए।

14 नवंबर तक योगनिद्रा में रहेंगे भगवान विष्णु
साल 2021 में अधिकमास होने से भगवान विष्णु ने 148 दिन क्षीरसागर में आराम किया था। इस बार वे 20 जुलाई से 14 नवंबर तक योगनिद्रा की अवस्था में रहेंगे। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस अवधि में सृष्टि को संभालने और कामकाज संचालन का जिम्मा भगवान शिव के पास रहेगा।

20 जुलाई अंतिम शुभ मुहूर्त
भड़ली नवमीं 18 जुलाई को मांगलिक कार्यक्रमों के लिए अबूझ मुहूर्त है। भड़ली नवमी के दिन में भी फेरे लिए जा सकते हैं। हालांकि कुछ पंचांगों में ग्रहों की स्थिति के कारण 16 जुलाई को समाप्त हो चुके हैं। उसके बाद चार माह तक शादियों की तैयारी होगी, लेकिन मांगलिक कार्यक्रमों नहीं हो पाएंगे।
 

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