Dussehra 2022: पूर्व जन्म में कौन था रावण? 1 नहीं 3 बार उसे मारने भगवान विष्णु को लेने पड़े अवतार

Dussehra 2022: शारदीय नवरात्रि के समापन के दूसरे दिन दशहरा पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 6 अक्टूबर, बुधवार को है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने राक्षसों के राजा रावण का वध किया था।
 

उज्जैन. दशहरा हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे विजया दशमी भी कहा जाता है। इस बार ये पर्व 6 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में इसी तिथि पर भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध किया था। तभी से अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में ये पर्व मनाया जाता है। रावण की पूरी कथा का वर्णन रामायण में मिलता है, लेकिन रावण पूर्व जन्म में कौन था इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। आज हम आपको रावण के पूर्व जन्म की कथा सुना रहे हैं, जो इस प्रकार है…

भगवान विष्णु के द्वारपालों को मिला श्राप
श्रीमद्भागवत के अनुसार, सतयुग में भगवान विष्णु के जय-विजय नाम के दो द्वारपाल थे, जो सदैव वैकुंठ के द्वार पर खड़े रहकर श्रीहरि की सेवा करते थे। एक बार सनकादि मुनि भगवान विष्णु के दर्शन करने आए, लेकिन उन्हें जय-विजय ने रोक लिया। क्रोधित होकर सनकादि मुनि ने उन्हें राक्षस योनी में जन्म लेने का श्राप दे दिया। तभी भगवान विष्णु वहां आ गए और उन्होंने जय-विजय को श्राप मुक्त करने की प्रार्थना की। सनकादि मुनि ने कहा कि “इनके कारण आपके दर्शन करने में हमें 3 क्षण की देरी हुई है, इसलिए ये तीन जन्मों तक राक्षस योनि में जन्म लेंगे और तीनों ही जन्म में इनका अंत स्वयं भगवान श्रीहरि करेंगे।” 

Latest Videos

पहले जन्म में बने हिरण्यकशिपु व हिरण्याक्ष
जय-विजय अपने पहले जन्म में हिरण्यकशिपु व हिरण्याक्ष नाम के दैत्य बने। हिरण्याक्ष ने जब धरती को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर उसका वध कर दिया और धरती को पुन: अपने स्थान पर स्थापित कर दिया। अपने भाई की मृत्यु से हिरण्यकशिपु को बहुत क्रोध आया और ब्रह्मदेव से कई तरह के वरदान पाकर वह स्वयं को अमर समझने लगा। तब भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकशिपु का भी वध कर दिया। 

दूसरे जन्म में बने रावण व कुंभकर्ण
जय-विजय अपने दूसरे जन्म में राक्षसराज रावण और कुंभकर्ण बने। इस जन्म में रावण लंका का राजा था। देवता भी उसके पराक्रम से कांपते थे। वहीं कुंभकर्ण का शरीर इतना विशाल था कि कई हजारों लोगों को भोजन पलक झपकते ही चट कर जाता है। तब भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ के यहां श्रीराम के रूप में जन्म लिया और रावण व कुंभकर्ण का वध किया।

तीसरे जन्म में बने शिशुपाल और दंतवक्र
तीसरे जन्म में जय-विजय शिशुपाल और दंतवक्र के रूप में जन्मे। शिशुपाल और दंतवक्र दोनों ही भगवान श्रीकृष्ण की बुआ के पुत्र थे, लेकिन वे फिर भी उनसे बैर रखते थे। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में श्रीकृष्ण ने सबके सामने शिशुपाल का वध कर दिया, तब दंतवक्र वहां से भाग गया। बाद में भगवान श्रीकृष्ण ने उसका भी वध कर दिया।


ये भी पढ़ें-

Navratri Upay: नवरात्रि में घर लाएं ये 5 चीजें, घर में बनी रहेगी सुख-शांति और समृद्धि

Navratri 2022: नवरात्रि में प्रॉपर्टी व वाहन खरीदी के लिए ये 6 दिन रहेंगे खास, जानें कब, कौन-सा योग बनेगा?

RamSetu: रामसेतु को बनाने वाले असली इंजीनियर्स कौन थे, किसने डिजाइन किया था पुल?
 

Share this article
click me!

Latest Videos

The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा
बांग्लादेश ने भारत पर लगाया सबसे गंभीर आरोप, मोहम्मद यूनुस सरकार ने पार की सभी हदें । Bangladesh