चाणक्य नीति भारतीय इतिहास और संस्कृति की अनमोल निधि है। लगभग दो हजार चार सौ वर्ष पूर्व नालन्दा विश्वविद्यालय के आचार्य चाणक्य ने उस काल की व्यवस्था का वर्णन अपनी चाणक्य नीति में किया है।
उज्जैन. चाणक्य नीति से मित्र-भेद से लेकर दुश्मन तक की पहचान, पति-परायण तथा चरित्र हीन स्त्रियों में विभेद, राजा का कर्तव्य और जनता के अधिकारों तथा वर्ण व्यवस्था का उचित निदान हो जाता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि कैसे वृक्ष, स्त्री और राजा जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं। जानिए इस नीति के बारे में…
जो पेड़ नदी के किनारे लगे होते हैं, उनके नष्ट होने का खतरा लगातार बना रहता है, क्योंकि पानी के बहाव के पानी जमीन का कटाव होता रहता है और जब ये कटाव हद से ज्यादा हो जाता है तो बड़े से बड़ा वृक्ष भी धराशायी हो जाता है। इसके अलावा बाढ़ में भी इन पेड़ों के नष्ट होने की संभावना लगातार बनी रहती है।
अनेक धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि स्त्री यानी पत्नी को कभी दूसरे व्यक्ति के आश्रित नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसा होने पर उसके चरित्र में दोष आने की संभावना बनी रहती है। संभव हो जिस व्यक्ति के घर में स्त्री रह रही हो वो बलपूर्वक या धन दिखाकर स्त्री को अपने बस में कर ले। इसलिए कहा जाता है कि स्त्री को किसी दूसरे के आश्रित नहीं छोड़ना चाहिए।
राजा मंत्रियों से विचार-विमर्श कर प्रजा के हित में काम करता है। क्योंकि मंत्रियों को ही प्रजा से जुड़े सुख-दुख का अनुभव राजा की अपेक्षा अधिक होता है। अगर योग्य मंत्री न हो तो राजा प्रजा के हित में निर्णय नहीं ले पाएगा और जल्दी ही नष्ट भी हो सकता है।
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