सार

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में सुखी और सफल जीवन के सूत्र बताए हैं। इन सूत्रों का पालन किया जाए तो हम कई समस्याओं से बच सकते हैं।

उज्जैन. चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि हमें किन परिस्थितियों में दूसरों की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, चाणक्य कहते हैं कि...

राजा राष्ट्रकृतं पापं राज्ञ: पापं पुरोहित:।
भर्ता च स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा।।

1. इस श्लोक के अनुसार अगर किसी देश की जनता गलत काम करती है तो उसका फल शासन को या उस देश के राजा को भोगना पड़ता है। इसीलिए राजा या शासन की जिम्मेदारी होती है कि वह प्रजा या जनता को कोई गलत काम न करने दे।
2. जिस देश में मंत्री, पुरोहित या सलाहकार अपने कर्तव्यों को ठीक से पूरा नहीं करते हैं और राजा को उचित सुझाव नहीं देते तो इसका बुरा परिणाम राजा और प्रजा को भुगतने पड़ते हैं।
3. शादी के बाद पत्नी गलत काम करती है, अपने कर्तव्यों का पालन ठीक से नहीं करती है तो ऐसे कामों की सजा पति को ही भुगतना पड़ती है। ठीक इसी प्रकार अगर पति गलत काम करता है तो उसका बुरा फल पत्नी को भी भुगतना पड़ता है।
4. जब कोई शिष्य गलत काम करता है तो उसका बुरा फल गुरु को भोगना पड़ता है। गुरु का कर्तव्य होता है कि वह शिष्य को गलत रास्ते पर जाने से रोकें, सही काम करने के लिए प्रेरित करें।