इस बार होलिका दहन 28 मार्च, रविवार को किया जाएगा और धुरेड़ी 29 मार्च, सोमवार को मनाई जाएगी। होली का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
उज्जैन. होली से जुड़ी कई कथाएं भी हमारे धर्म ग्रंथों में मिलती है। इनमें से प्रह्लाद और होलिका की कथा सबसे अधिक प्रचलित है। इसके अलावा भी धर्म ग्रंथों में होली से जुड़ी कई कथाएं और नाम बताए गए हैं। जानिए इनके बारे में…
1. राजा रघु के राज्य में ढुण्डा नाम की एक राक्षसी ने भगवान शिव से अमरत्व का वर प्राप्त कर लोगों को खासकर बच्चों को सताना शुरू किया। भयभीत प्रजा ने अपनी पीड़ा राजा रघु को बताई। तब राजा रघु के पूछने पर महर्षि वशिष्ठ ने बताया कि खेलते हुए बच्चों का शोर-गुल या हुडदंग उसकी मृत्यु का कारण बन सकता है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सभी बच्चे एकत्रित होकर नाचने-गाने और तालियां बजाने लगे। जाती हुई शीत ऋतु के कारण सभी ने अग्नि प्रज्वलित की और उसकी परिक्रमा करने लगे। बच्चों द्वारा ये सब करने से अंतत: ढुण्ढा नामक राक्षसी का अंत हुआ। यह दिन ही होलिका तथा कालान्तर में होली के नाम से लोकप्रिय हुआ।
2. लिंगपुराण में होलिका उत्सव को फाल्गुनिका के नाम से जाना जाता है, जिसे बालकों की क्रीड़ाओं से पूर्ण और सुख समृद्धि देने वाला बताया गया है। फाल्गुनिका इसलिए क्योंकि ये पर्व फाल्गुन मास के अंतिम दिन मनाया जाता है।
3. इसी प्रकार वराहपुराण में भी इस उत्सव को पटवास विलासीनी अर्थात् चूर्णयुक्त खेल और लोक कल्याण करने वाला बताया गया है।
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