सार
इस बार होलिका दहन 28 मार्च, रविवार को है। इसके अगले दिन यानी 29 मार्च, सोमवार को धुरेड़ी मनाई जाएगी। होलिका की इस रात को दीपावली व शिवरात्रि की तरह महारात्रि की श्रेणी में शामिल किया गया है।
उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होलिका दहन के दौरान हवा की दिशा से तय होता है कि आगामी एक वर्ष व्यापार, कृषि, वित्त, शिक्षा व रोजगार आदि के लिए कैसा होगा। जिस दिशा में धुंआ उठता है, उससे भविष्य का हाल जाना जाता है। जानिए इससे जुड़ी खास बातें…
अगर, लौ ऊपर उठे तो परिणाम सकारात्मक समझें
होलिका दहन के समय अग्नि आसमान की तरफ उठे तो आगामी होली तक सब कुछ अच्छा होता है। सत्ता और प्रशासनिक क्षेत्रों में बड़े बदलाव होते हैं पर यह सकारात्मक होते हैं और कोई बड़ी जनहानि और फिर प्राकृतिक आपदा की आशंका कम ही होती है।
पूर्व दिशा
होलिका दहन की लौ उस समय पूर्व दिशा की ओर चले तो इसे अत्यंत ही शुभ माना गया है इससे शिक्षा- अध्यात्म, धर्म को बढ़ावा मिलता है और रोजगार की संभावना बढ़ती है। लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। मान सम्मान में भी वृद्धि होती है।
पश्चिम दिशा
पश्चिम की ओर होलिका दहन की अग्नि की लौ उठे तो पशुधन को लाभ होता है। आर्थिक प्रगति होती है, पर धीरे-धीरे। थोड़ी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका रहती है, पर कोई बड़ी हानि नहीं होती है। चुनौतियां तो बढ़ेगी, लेकिन यही सफलता भी दिलाते हैं।
उत्तर दिशा
उत्तर की ओर हवा का रुख रहने पर देश व समाज में सुख-शांति बनी रहती है इस दिशा में कुबेर समेत अन्य देवताओं का वास होने से आर्थिक प्रगति होती है। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान होते है। कृषि-व्यापार में उन्नति होती है।
दक्षिण दिशा
होलिका दहन के बाद अग्नि की लौ यदि दक्षिण दिशा की ओर जाती है तो माना जाता है कि झगड़े और विवाद बढ़ते हैं। युद्ध-अशांति की स्थिति पैदा होने की भी आशंका होती है। हालांकि, न्यायिक मामलों में यह शुभ सिद्ध भी हो सकता है।
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