Life Management: मूर्तिकार ने अपने जैसी 10 मूर्तियां बनाई, यमदूत आए तो वो भी चकरा गए…फिर क्या हुआ?

कुछ लोगों को अपने हुनर का बहुत ज्यादा ही अभिमान होता है। उन्हें लगता है कि जो काम वो कर रहे हैं, वो और कोई कर ही नहीं सकता। जब उनका अभिमान बढ़ता जाता है उस समय वो कोई न कोई गलती कर बैठते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jan 24, 2022 6:00 AM IST

उज्जैन. घमंड़ी लोग अन्य लोगों को अपने से कमतर समझने लगते हैं और कई बार उनका अपमान भी कर बैठते हैं। एक सच्चे कलाकार को अपने हुनर की कद्र करनी चाहिए न कि अभिमान। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है भूलकर भी अपने हुनर पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए।

जब कलाकार ने कर दी एक बड़ी गलती
किसी नगर में एक एक मूर्तिकार बहुत सुंदर और सजीव मूर्तियां बनाता था। उसे कई साल हो गए थे मूर्तियां बनाते हुए। उसकी कला दिनों-दिन निखरती गई थी। बरसों बीत गए। कलाकार बूढ़ा होने लगा। उसे जब लगा कि जल्दी ही उसकी मृत्यु होने वाली है, तो वह परेशान हो उठा। उसे चिंता होने लगी कि मौत से कैसे बचा जाए।
आखिर उसे उपाय सूझ ही गया। यमदूतों को भ्रमित करने के लिए उसने एकदम अपने जैसी दस मूर्तियां बना डालीं। उसने यह सोचा कि जब यमदूत आएंगे, तो योजनानुसार बनाई गई उन मूर्तियों के बीच में वह स्वयं जाकर बैठ जाएगा।
यमदूत जब उसे लेने आए, तो एक जैसी ग्यारह आकृतियां देखकर अचंभित रह गए। सभी मूर्तियां एक जैसी बनी थीं, और वह कलाकार जिसे यमदूत लेने आए थे, वह भी उन मूर्तियों के बीच ही था। पर उसे खोज पाना यमदूतों के लिए मुश्किल हो रहा था। 
यमदूत सोचने लगे, अब क्या किया जाए। मूर्तिकार के प्राण अगर न ले सके, तो सृष्टि का नियम टूट जाएगा, और अगर सच्चाई जानने के लिए मूर्तियां तोड़ी गईं, तो कला का अपमान होगा।
अचानक एक यमदूत को कुछ सूझा। उसने जोर-से कहा, “काश, इन मूर्तियों को बनाने वाला मिलता, तो मैं उसे बताता कि मूर्तियां तो अति सुंदर बनाई हैं, लेकिन इनको बनाने में एक त्रुटि रह गई।” 
यह सुनकर मूर्तिकार का अहंकार जाग उठा। उसे लगा कि भला उसकी कला में कमी कैसे रह सकती है! वह तुरंत बोल उठा, “कैसी त्रुटि?”
यमदूत ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और बोला, “बस यही त्रुटि कर गए तुम अहंकार में। क्या हम जानते नहीं कि बेजान मूर्तियां बोला नहीं करतीं।”

लाइफ मैनेजमेंट
जब किसी व्यक्ति के मन अहंकार आ जाता है तो वो दूसरे लोगों को अपने से हीन समझने लगता है और कई तरह की गलतियां भी करने लगता है। यहीं वो मात खा जाता है और अपनी कला का मान भी खत्म कर देता है।


 

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