कुछ लोग अपने अधिकारों और शक्तियों का उपयोग दूसरों को कष्ट पहुंचाने में करते हैं, जो कि गलत है। अगर आपके पास कोई विशेष अधिकार या शक्तियां है तो उसका अधिक से अधिक उपयोग लोगों की भलाई में करें न कि दूसरों को परेशान करने में।
उज्जैन. आपके तानाशाली वाले व्यवहार से आपकी छवि पर भी बुरा असर पड़ता है और लोग आपसे दूर भागते हैं। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है अपने अधिकारों और शक्तियों का हमेश सही जगह उपयोग करना चाहिए।
जब संत ने राजा को दिखाया सही रास्ता
किसी देश में एक राजा था, उसे दूसरों को कष्ट देना अच्छा लगता था। वह बिना वजह ही अपने राज्य को के लोगों को फांसी की सजा सुना देता था। राजा की क्रूरता के कारण उसकी प्रजा बहुत दुखी थी। काफी लोग राज्य छोड़कर दूसरे राज्य जा रहे थे। ऐसे में कुछ लोग एक संत के पास पहुंचे और पूरी बात बताई।
लोगों से संत से कहा कि “महाराज अब आप ही हमारी रक्षा कीजिए। ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन ये राज्य खाली हो जाएगा।”
दुखी लोगों की बात संत को समझ आ गई और उन्होंने कहा कि “ठीक है, मैं आपके राजा से बात करुंगा।”
अगले दिन संत के राजा के दरबार में पहुंचे। राजा ने संत का स्वागत किया और कहा कि “बताइए महाराज मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं।”
संत ने कहा कि “राजन् मैं आपसे कुछ पूछने आया हूं। कृपया मेरे प्रश्नों के जवाब दें।”
राजा तुरंत तैयार हो गया और कहा कि “आप जो चाहते हैं पूछ सकते हैं।”
संत ने कहा कि “मान लीजिए आप आप शिकार के लिए किसी जंगल में गए और रास्ता भटक गए। काफी प्रयासों के बाद भी आप जंगल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है और प्यास की वजह से आपके प्राण निकलने वाले हैं, ऐसी स्थिति में अगर कोई व्यक्ति आपको गंदी पानी पीने के लिए दे और आधा राज्य मांगे तो आप क्या करेंगे?”
राजा ने कहा कि “प्राण बचाने के लिए उसे आधा राज्य देना ही पड़ेगा।”
संत ने कहा कि “अगर वह गंदा पानी पीने से आप बीमार हो जाए और अब प्राण बचाने के लिए वैद्य आपसे शेष आधा राज्य भी मांग ले तो क्या करोगे?”
राजा ने कहा कि “जब प्राण ही नहीं रहेंगे तो मेरा राज्य किस काम का, मैं वैद्य को आधा राज्य भी दे दूंगा।”
इसके बाद संत ने कहा कि “राजन् आप अपने प्राण बचाने के लिए पूरे राज्य का त्याग कर सकते हैं तो अपनी राज्य के लोगों के प्राण क्यों ले रहे हैं? उन सभी का पालन करना आपका कर्तव्य है। आपकी तरह सभी के प्राण अमूल्य हैं। सभी का घर-परिवार है, किसी एक फांसी देने से पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है। आप अपने अधिकारों का गलत उपयोग करके प्रजा को दुखी क्यों कर रहे हैं?”
राजा को संत की बात समझ आ गई और उसने प्रजा के हित में काम करने का प्रण ले लिया।
लाइफ मैनेजमेंट
व्यक्ति को अपने अधिकारों का उपयोग दूसरों के हित में करना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को अकारण दुख देना, परेशान करना क्रूरता है। सच्ची मानवता यही है कि हम दूसरों के सुख के लिए काम करें।
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