Life Management: साधु किसी गरीब को सोने का सिक्का देना चाहते थे, लेकिन उन्होंने राजा को दे दिया…जानिए क्यों?

लोभ यानी लालच ऐसी बुराई है, जिसकी वजह से हमारे दूसरे सभी गुणों का महत्व खत्म हो जाता है। लालच की वजह से व्यक्ति कभी भी संतुष्ट नहीं हो पाता है और धनवान होते हुए भी गरीब बना रहता है। इसलिए लालच जैसे अवगुण से बचना चाहिए।

Asianet News Hindi | Published : Jan 25, 2022 6:29 AM IST

उज्जैन. असंतुष्टी की वजह से जीवन से सुख-शांति गायब हो जाती है। इसलिए लालच न करें और जो भी मिले, उसी में सुंतष्ट हो जाएं। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है लालच से बचकर रहें और दूसरों को अहित तो भूलकर भी न करें।

जब संत ने राजा को दिया सोने का सिक्का
एक संत कहीं जा रहे थे तो रास्ते में उन्हें सोने का एक सिक्का मिला। संत ने सिक्का उठा लिया। उनके साथ ही कुछ शिष्य भी थे। संत ने शिष्यों से कहा, ‘'ये सिक्का किसी ऐसे व्यक्ति को दूंगा, जो सबसे ज्यादा जरूरतमंद है।'’
संत और शिष्य अपनी यात्रा पर आगे बढ़ते रहे। रात होने पर वे एक राज्य में रुक गए। अगले दिन उस राज्य का राजा अपनी सेना के साथ के पड़ोसी राज्य पर आक्रमण करने के लिए जा रहा था।
संत ने राजा और उसकी सेना को देखा तो वे अपने शिष्यों के साथ राजा से मिलने पहुंच गए। मंत्रियों ने राजा को बताया कि एक संत मिलना चाहते हैं। संत के बारे में सुनते ही राजा तुरंत ही अपने रथ से नीचे उतरा और संत के सामने पहुंच गया।
राजा ने संत को प्रणाम किया तो संत ने अपने पास से सोने का वह सिक्का राजा को दे दिया। राजा ने उस सिक्के को देखा तो वह कुछ समझ नहीं सका। उसने संत से ही पूछा, ‘'आप ये सिक्का मुझे क्यों दे रहे हैं?'’
संत बोले, ‘'ये सिक्का मुझे कल मिला था, उस समय मैंने सोचा था कि इस सिक्के को सबसे जरूरतमंद व्यक्ति को दूंगा।'’
राजा ने कहा, ‘'आपको कोई गलतफहमी हो रही है, मैं तो इस राज्य का राजा हूं और मेरे पास अपार धन-संपत्ति है। मैं जरूरतमंद नहीं हूं।’'
संत ने कहा, ‘'राजन् आपके पास अपार धन-संपत्ति है, बड़ा राज्य है, फिर भी आप दूसरे राज्यों पर अधिकार करने के लिए विशाल सेना लेकर आक्रमण करने जा रहे हैं। इसका मतलब यही है कि आपके लालच का अंत नहीं है। इतनी संपदा होने के बाद भी आपको और राज्य चाहते हैं। मेरी नजर में आपसे ज्यादा जरूरतमंद कोई और दूसरा व्यक्ति नहीं है, इसीलिए इस सिक्के के आप ही हकदार हैं।'’
संत की ये बातें सुनकर राजा को समझ आ गया कि वह लालच की वजह से ही दूसरे राज्य पर हमला करने जा रहा है। राजा ने संत से कहा, ‘'आपने मुझे मेरी गलती का अहसास कराया है। मुझे क्षमा करें।'’
इसके बाद राजा ने दूसरे राज्य पर आक्रमण करने का विचार छोड़ दिया और अपनी सेना के साथ अपने महल में लौट गया।

लाइफ मैनेजमेंट
लालच का अंत नहीं है। अगर कोई व्यक्ति धनी है और वह लालची है तो वह कभी भी अपने धन का उपभोग नहीं कर पाएगा, हमेशा दुखी और अशांत ही रहेगा। इसलिए इस बुराई को छोड़ देना चाहिए।


 

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