Kalashtami 2022: भगवान काल भैरव की पूजा से दूर होती हैं परेशानियां, काले कुत्ते को खिलाएं मीठी रोटी

माघ मास में भगवान भैरव की पूजा का महत्व नारद पुराण में बताया गया है। इस महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। इसे कालाष्टमी (Kalashtami 2022) भी कहा जाता है। इस बार ये तिथि 25 जनवरी, मंगलवार को है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 25, 2022 4:49 AM IST

उज्जैन. काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप हैं। माना जाता है इनकी पूजा से नकारात्मक ताकतें और हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। नारद पुराण में बताया गया है कि कालभैरव की पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मनुष्य किसी रोग से लम्बे समय से पीड़ित है तो वह रोग, तकलीफ और दुख भी दूर होती हैं।

कालाष्टमी तिथि कब से कब तक? 
अष्टमी तिथि का आरंभ 25 जनवरी, मंगलवार को सुबह 07:48 से होगा, जो अगले दिन यानी 26 जनवरी, बुधवार को सुबह 06:25 तक रहेगी।

कालाष्टमी पर ध्यान रखें ये बातें…
- इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में नहाकर व्रत करने का संकल्प लें। फिर पितरों को याद करें और उनका श्राद्ध करें। ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः का जाप करें। इसके उपरान्त काल भैरव की आराधना करें।
- अर्धरात्रि में धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करें। व्रत के सम्पूर्ण होने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं।
- कालाष्टमी का व्रत रखकर भगवान भैरव की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव और पार्वती की कथा और भजन करने से भी घर में सुख-समृद्धि आती हैं। 
- कालअष्टमी के दिन भैरव पूजन से प्रेत और बुरी शक्तियां दूर भाग जाती हैं। भगवान भैरव का वाहन काला कुत्ता माना जाता है। 
- इस दिन काले कुत्ते को रोटी जरूर खिलानी चाहिए। कालाष्टमी पर किसी पास के मंदिर जाकर कालभैरव को दीपक जरूर लगाना चाहिए।
- कालाष्टमी व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि -विधान से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं। 
काल उससे दूर हो जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के रोग दूर होने लगते हैं और उसे हर काम में सफलता भी प्राप्त होती है।

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