Life Management: सेठ ने प्रश्न पूछा तो संत ने कहा “मैं तुम्हें जवाब देने नहीं आया”…सुनकर सेठ को आ गया गुस्सा

कई बार लोग बिना वजह ही एक-दूसरे से भिड़ जाते हैं। बात बहुत छोटी होती है जिसे आपसी समझ से सुलझाया जा सकता है, लेकिन लोग विवाद को सुलझाने के स्थान पर और बढ़ाने लगते हैं। इसका मुख्य कारण है क्रोध।

Asianet News Hindi | Published : Dec 23, 2021 5:35 AM IST

उज्जैन. क्रोध की वजह से काम बिगड़ जाते हैं, रिश्तों तनाव बढ़ सकता है। इसीलिए क्रोध से बचना चाहिए। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है क्रोध करने से बचना चाहिए।

जब संत ने सेठ को कहा भला-बुरा
एक सेठ के पास संत भिक्षा मांगने पहुंचे। सेठ भी धार्मिक स्वभाव का था। उसने एक कटोरी चावल का दान का संत को कर दिया। सेठ ने संत से कहा कि “गुरुजी मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूं।”
संत ने कहा कि “ठीक है पूछो, क्या पूछना चाहते हो?” 
सेठ ने पूछा कि “गुरुजी मैं ये जानना चाहता हूं कि लोग लड़ाई-झगड़ा क्यों करते हैं?” 
सेठ की बात सुनकर संत ने कहा कि “मैं यहां भिक्षा लेने आया हूं, तुम्हारे मूर्खतापूर्ण सवालों के जवाब देने नहीं आया।”
संत के मुंह से ऐसा सुनते ही सेठ क्रोधित हो गया। वह सोचने लगा कि ये कैसा संत है, मैंने इसे दान दिया और ये मुझे ही ऐसा जवाब दे रहा है। सेठ ने गुस्से में संत को खूब खरी-खोटी सुना दी। 
कुछ देर बाद सेठ शांत हो गया, तब संत ने कहा कि “जैसे ही मैंने तुम्हें कुछ अप्रिय बोला, तुम्हें गुस्सा आ गया। गुस्से में तुम मुझ पर चिल्लाने लगे, इस स्थिति में अगर मैं भी तुम पर गुस्सा हो जाता तो हमारे बीच विवाद और भी बढ़ जाता।”
संत ने सेठ को समझाया कि “क्रोध ही हर झगड़े की जड़ है। अगर हम क्रोध नहीं करेंगे तो कभी वाद-विवाद होगा ही नहीं। गुस्से में काम सुधरते नहीं है और ज्यादा बिगड़ जाते हैं। इसीलिए क्रोध को काबू करने की कोशिश करनी चाहिए, तभी जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। हमेशा धैर्य बनाए रखना चाहिए।”

लाइफ मैनेजमेंट
एक कहावत है कि क्रोध वो अग्नि है जिसमें व्यक्ति दूसरों के साथ-साथ खुद को भी नुकसान पहुंचा लेता है। और होता भी यही है। जो व्यक्ति क्रोध में आकर कोई कदम उठाता है या फैसला लेता है उसमें नुकसान के अतिरिक्त और कुछ नहीं मिलता। इसलिए क्रोध नहीं करना चाहिए।

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