सार
कई बार हम सिर्फ उतना ही काम करते हैं, जितना हमसे कहा जाता है। जबकि उस काम को और बेहतर करने की गुंजाईश रहती है, लेकिन हम सोचते हैं कि हमें जितना पैसा मिल रहा है, सिर्फ उतना ही काम करना है।
उज्जैन. जितना पैसा, उतना काम, हमारी ये सोच भविष्य में हमें आगे बढ़ने से रोकती है और इसके कारण कई परेशानियों का सामना भी हमें और दूसरे लोगों को करना पड़ता है। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि हमें हमेशा अपने सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करना चाहिए।
ऐसे बची व्यापारी की पत्नी की जान
समुद्र किनारे एक व्यापारी रहता था। उसके पास एक नाव थी, जिससे वह व्यापार करता था। उस नाव से वो कभी-कभी अपनी पत्नी और बच्चों को घूमाने भी ले जाता था। एक बार जब व्यापारी नाव में सफर कर रहा था, तभी उसने देखा कि नाव का रंग कई जगह से फीका पड़ गया था। उसने घर आकर रंगने वाले कारीगर से कहा “कल मेरी नाव में नया रंग कर देना।” कारीगर ने अगले दिन ये काम करने की हामी भर दी।
अगले दिन व्यापारी को किसी काम से दूसरे शहर जाना था। जल्दबाजी में वह उसी नाव में सवार हो गया, तभी उसे ध्यान आया कि आज तो इस नाव पर नया रंग करना है। ये सोचकर वो नाव से उतरने लगा, तभी उसने देखा कि नाव में एक छेद हो गया। ये देखकर वो डर गया कि समय रहते उसने नाव का छेद देख लिया, नहीं तो किसी दिन हादसा हो सकता था।
व्यापारी ने सोच शाम को आकर इस छेद को ठीक करवा लूंगा, तब तक नाव में नया रंग भी हो जाएगा।
ये सोचकर व्यापारी दूसरे शहर चला गया। रात को देर होने के कारण वो घर न आ सका तो उसने सोचा अगली सुबह जल्दी घर चला जाऊंगा। अगल सुबह जब व्यापारी आया तो उसने देखा कि उसकी नाव किनारे पर नहीं है। पड़ोसियों ने बताया कि उसकी पत्नी बच्चों को साथ लेकर नदी में सैर करने गई है। नाव के छेद के बारे में सोचते ही उसके हौश उड़ गए। वो जोर-जोर से रोने लगा। पूछने पर उसने पड़ोसियों को पूरी बात बता दी।
ये सुनते ही पड़ोसी भी किसी अनहोनी की कल्पना करने लगे। तभी एक व्यक्ति ने देखा कि वो नाव धीरे-धीरे किनारे की तरफ बढ़ रही है। ये देखकर व्यापारी भी खुश हो गया। जब उसने पत्नी को पूरी बात बताई तो वह बहुत घबरा गई। जब व्यापारी ने नाव में जाकर देखा तो वो छेद की सुचारु रूप से मरम्मत हो चुकी है और नाव पर नया रंग भी लग चूका है।
व्यापारी समझ गया कि ये काम उस रंग करने वाले कारीगर ने ही किया है।
व्यापारी ने उसे बुलाया और पूछा, “क्या तुमने ही नाव के छेद की भी मरम्मत की है।” वह कारीगर बोला, “हां, जब में नाव में रंग कर रहा था तभी मेरी दृष्टि इस छेद पर गई मैंने सोचा छेद वाली नाव पर नया रंग रोगन करने का भी क्या लाभ? नाव का उपयोग तो पानी में जाकर ही है इसलिए रंग रोगन से भी इस छेद को ठीक करना अधिक आवश्यक था।”
कारीगर की बातें सुनकर सभी लोग बहुत प्रसन्न हुए और उसके अपनी कार्य की प्रति व्यावहारिक समझ देखकर उसकी भूरी-भूरी प्रशंसा करने लगे। व्यापारी ने उसका कोटि कोटि आभार व्यक्त किया और ईनाम भी दिए।
लाइफ मैनेजमेंट
काम को टालें नहीं- हमें आज का काम कल पर नहीं टालना चाहिए। ऐसा करने से कई बार हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है या हमारा नुकसान भी हो सकता है। इस प्रवृत्ति को तुंरत खत्म करना चाहिए।
अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करें- हमें हर काम में अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए। काम छोटा हो या बड़ा। हर काम का अपना एक महत्व होता है। लगातार सर्वश्रेष्ठ देने से ही समाज में हमारा मान-सम्मान बढ़ेगा और तरक्की भी होगी।
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