सार
आज-कल छोटी-छोटी बातों पर लोग एक-दूसरे से दूरियां बना लेते हैं। सालों पुराने संबंध एक पल में तोड़ देते हैं, भले ही उन बातों में कोई सच्चाई हो या न हो। बिना सोचे-समझे इस तरह संबंध खराब करना आम बात हो गई है।
उज्जैन. आपसी विवादों का फायदा अक्सर दूसरे लोग उठाते हैं और अपना स्वार्थ पूरा करते हैं। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज के प्रंसग में हम आपको बता रहे हैं कि जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे की बुराई करने आपसे पास आए तो आपको उनकी बातों को कौन-सी 3 कसौटी पर तौलना है, जिससे कि आपके संबंध भी बचें रहें और समय भी।
बहुत काम की है की है ये 3 कसौटी
किसी गांव में एक बहुत प्रसिद्ध और विद्वान व्यक्ति रहते थे। एक दिन उनका एक परिचित व्यक्ति आया और बोला, “मैंने आपके एक मित्र के बारे में कुछ सुना है।”
ये सुनते ही विद्वान ने कहा, “मुझे कुछ बताने से पहले मैं चाहता हूँ कि हम एक छोटा सा परीक्षण कर लें जिसे मैं ‘तीन कसौटियों का परीक्षण’ कहता हूँ।”
“तीन कसौटियाँ? कैसी कसौटियाँ?”, परिचित ने पूछा।
“हाँ”, विद्वान ने कहा, “मुझे मेरे मित्र के बारे में कुछ बताने से पहले हमें यह तय कर लेना चाहिए कि आप कैसी बात कहने जा रहे हैं, इसलिए किसी भी बात को जानने से पहले मैं इन कसौटियों से परीक्षण करता हूँ।
इसमें पहली कसौटी सत्य की कसौटी है। क्या आप सौ फीसदी दावे से यह कह सकते हो कि जो बात आप मुझे बताने जा रहे हो वह पूर्णतः सत्य है?
“नहीं”, परिचित ने कहा, “दरअसल मैंने सुना है कि…”
“ठीक है”, विद्वान ने कहा, “इसका अर्थ यह है कि आप आश्वस्त नहीं हो कि वह बात पूर्णतः सत्य है। चलिए, अब दूसरी कसौटी का प्रयोग करते हैं जिसे मैं अच्छाई की कसौटी कहता हूँ।
मेरे मित्र के बारे में आप जो भी बताने जा रहे हो क्या उसमें कोई अच्छी बात है?
“नहीं, बल्कि वह तो…”, परिचित ने कहा।
विद्वान ने कहा, “इसका मतलब यह है कि आप मुझे जो कुछ सुनाने वाले थे उसमें कोई भलाई की बात नहीं है और आप यह भी नहीं जानते कि वह सच है या झूठ। लेकिन हमें अभी भी आस नहीं खोनी चाहिए क्योंकि आखिरी यानि तीसरी कसौटी का एक परीक्षण अभी बचा हुआ है; और वह है उपयोगिता की कसौटी।
जो बात आप मुझे बतानेवाले थे, क्या वह मेरे किसी काम की है?”
“नहीं, ऐसा तो नहीं है”, ये सुनकर उस व्यक्ति से पसीने छूटने लगे।
“बस, हो गया फैसला” विद्वान ने कहा, “जो बात आप मुझे बतानेवाले थे वह न तो सत्य है, न ही भली है, और न ही मेरे काम की है, तो मैं उसे जानने में अपना कीमती समय क्यों नष्ट करूं?”
लाइफ मैनेजमेंट
हमेशा आस-पास ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें दूसरों की बुराइयां करने में बड़ा मजा आता है। और वे लोग हमारे बीच मतभेद पैदा करने को कोशिश करते रहते हैं। इनसे निपटने के लिए विद्वान द्वारा बताई गयी इन तीन कसौटियों, सत्य की कसौटी, अच्छाई की कसौटी और उपयोगिता की कसौटी को आप भी अपने जीवन में अपनाकर अपना जीवन सरल और खुशहाल बना सकते हैं।
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