सार

कई बार जीवन में हमें विपरित परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग इस स्थिति में टूट जाते हैं तो कुछ और निखर जाते हैं। ऐसी स्थिति जीवन में सभी लोगों के साथ कभी न कभी जरूर बनती हैं।
 

उज्जैन. विपरीत परिस्थितियों में हमें शांत रहकर मुसीबतों का सामना करना चाहिए न कि धैर्य खोकर नकारात्मक चीजों को ओर आकर्षित होना चाहिए। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज में आज हम आपको बता रहे हैं कि जब हजारों लोग कांच और हीरे की पहचान नहीं कर पाए तो कैसे एक अंधे व्यक्ति ने कांच और हीरे की पहचान आसानी से कर ली।

राजा भी न कर पाया हीरे की पहचान तो अंधे ने कैसे पहचाना?
एक राजा का दरबार लगा हुआ था। सर्दियों के दिन थे, इसीलिये राजा का दरबार खुले में बैठा था। पूरी आम सभा सुबह की धूप मे बैठी थीl महाराज ने सिंहासन के सामने एक मेज रखवा रखी थी। पंडित लोग दीवान आदि सभी दरबार में बैठे थे। राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे। 
उसी समय एक व्यक्ति आया और राजा से दरबार में मिलने की आज्ञा मांगी। प्रवेश मिल गया तो उसने कहा, “मेरे पास दो वस्तुएं हैं, बिल्कुल एक जैसी लेकिन एक नकली है और एक असली, मैं हर राज्य के राजा के पास जाता हूँ और उन्हें परखने का आग्रह करता हूँ, लेकिन कोई परख नही पाता, सब हार जाते है और मैं विजेता बनकर घूम रहा हूँ। अब मैं आपके नगर मे आया हूँ।”
राजा ने उसे दोनों वस्तुओं को पेश करने का आदेश दिया। तो उसने दोनों चीजें टेबल पर रख दीं। बिल्कुल समान आकार समान रुप रंग, समान प्रकाश, सब कुछ नख शिख समान। 
राजा ने कहा, “ये दोनों वस्तुएं एक हैं”। 
तो उस व्यक्ति ने कहा, “हाँ दिखाई तो एक सी देती है लेकिन हैं भिन्न, इनमें से एक बहुत कीमती हीरा और एक है काँच का टुकडा, लेकिन रूप रंग सब एक है। कोई आज तक परख नही पाया कि कौन सा हीरा है और कौन सा काँच?” 
“कोई परख कर बताये कि ये हीरा है या काँच। अगर परख खरी निकली तो मैं हार जाऊँगा और यह कीमती हीरा मैं आपके राज्य की तिजोरी में जमा करवा दूँगा, यदि कोई न पहचान पाया तो इस हीरे की जो कीमत है उतनी धनराशि आपको मुझे देनी होगी। इसी प्रकार मैं कई राज्यों से जीतता आया हूँ।” 
राजा ने कई बार उन दोनों वस्तुओं को गौर से देखकर परखने की कोशिश की और अंत में हार मानते हुए कहा- “मैं तो नहीं परख सकूंगा।”
एक-एक करके सभी दरबारियों ने उन दोनों को देखा लेकिन कोई परख नहीं पाया। अब राजा को डर सताने लगा कि अगर मेरे दरबार में किसी ने इसकी परख नहीं की तो मेरी प्रतिष्ठा गिर जायेगी।
राजा के दरबार में कुछ आम नागरिक भी अपनी समस्या को लेकर आए थे। उनमें से एक अंधा था। जब उसने ये बात सुनी तो हिम्मत करके वो आगे आया और राजा से बोला “एक अवसर मुझे भी दीजिए। अंधे व्यक्ति को देखकर सभी उसका मजाक उड़ाने लगे। राजा ने उसे अनुमति दे दी। 
अंधे व्यक्ति ने उन दोनों वस्तुओं को छूआ और हीरे और कांच की परख कर सबको बता दिया। जो आदमी इतने राज्यों को जीतकर आया था वह नतमस्तक हो गया और बोला सही है, आपने पहचान  लिया! आप धन्य हैं।
राजा और अन्य सभी लोगों ने उस अंधे व्यक्ति पूछा, ‘'तुमने यह कैसे पहचाना कि यह हीरा है और वह काँच?'’ 
उस अंधे व्यक्ति ने कहा, “सीधी सी बात है राजन, धूप में हम सब बैठे हैं, मैंने दोनों को छुआ। जो ठंडा रहा वह हीरा, जो गरम हो गया वह काँच।”
अंधे व्यक्ति के मुंह से ऐसी बात सुनकर हर कोई अवाक रह गया और सोचने लगा इतनी छोटी सी बात हम क्यों नहीं समझ पाए।

लाइफ मैनेजमेंट
1.
जीवन में भी कुछ ऐसा ही है, जो व्यक्ति जरा-जरा सी बात पर गर्म हो जाए या लड़ने भिड़ने लगे। बात-बात में दूसरे से उलझे और ऊंची आवाज में बोले तो वह व्यक्ति तो है कांच का टुकड़ा। इसके उलट जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी ठंडा रहे, वह व्यक्ति हीरा होता है।
2. अंधे व्यक्ति से हमें ये सीख मिलती है कि समस्या कैसी भी हो, दिमाग को शांत रखकर उसका निराकरण किया जा सकता है। सिर्फ हमें अपनी सोच सकारात्मक रखनी है।

 

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