सार
महाभारत में अनेक पात्र हैं। इन्हीं में से एक हैं महात्मा विदुर (Vidur Niti)। अंत तक इनका पांडवों पर स्नेह बना रहा। महात्मा विदुर हस्तिनापुर राज्य के महामंत्री थे। उन्होंने समय-समय पर पांडवों पर हो रहे अन्याय का प्रतिकार किया और अंत तक युद्ध रोकने का प्रयास किया। वे हमेशा धृतराष्ट्र को अनेक उदाहरणों से सही राह दिखाने का प्रयास करते थे।
उज्जैन. महात्मा विदुर ने युद्ध से पहले इन्होंने कई उदाहरण देकर धृतराष्ट्र को युद्ध रोकने के लिए समझाया था। इन्हीं संवादों को विदुर नीति के रूप में जाना जाना जाता है। महात्मा विदुर (Vidur Niti) की ये नीतियां आज से समय में भी प्रासंगिक हैं। महात्मा विदुर ने अपनी नीतियों में बताया है कि कौन मूर्ख है, किन कामों से आयु कम होती है और कौन लोग हमेशा दुखी रहते हैं। आज हम आपको विदुर नीति की कुछ ऐसी ही खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
मूर्ख कौन है
मूर्ख वह है जो शत्रु से मित्रता करता है और मित्रों-शुभचिंतकों को दुःख देता है, उनसे ईर्ष्या-द्वेष रखता है। हमेशा बुरे कार्यों में लिप्त रहता है। इसी तरह, अनावश्यक कर्म करने वाला, सभी पर संदेह करने वाला, आवश्यक व शीघ्र किए जाने वाले कार्यों को विलंब से करने वाला भी मूर्ख कहलाता है।
आयु कम करने वाले
अत्यधिक अभिमान, अति वाचालता, त्याग का अभाव, क्रोध, अपने बारे में ही सोचना यानी स्वार्थ और मित्रद्रोह, ये छह तीखी तलवारें हैं जो मनुष्यों की आयु को काटती हैं और उन्हें सौ वर्ष तक जीने नहीं देतीं। ये ही मनुष्यों का वध करती हैं, मृत्यु नहीं।
दु:खी रहने वाले
ईर्ष्यालु, औरों से घृणा करने वाला, असंतुष्ट, क्रोध करने वाला, शंकालु और दूसरों पर आश्रित रहने वाला– ये छह प्रकार के व्यक्ति हमेशा दु:खी रहते हैं।
झुकना ही बुद्धिमानी
जो धातु बिना गर्म किए मुड़ जाती है, उसे आग में नहीं तपाया जाता। जो काष्ठ ख़ुद झुका होता है, उसे कोई झुकाने का प्रयत्न नहीं करता। इसलिए बुद्धिमान मनुष्य को अधिक बलवान के सामने झुक जाना चाहिए। जो अपने से ज़्यादा बलवान के सामने झुकता है, वह एक तरह से इंद्रदेव को ही प्रणाम करता है।
उन्नति चाहते हैं तो
जो मनुष्य अपना और जगत का कल्याण अथवा उन्नति चाहता है, उसे तंद्रा, अधिक निद्रा, भय, क्रोध, आलस्य और प्रमाद इन छह दोषों को सदा के लिए त्याग देना चाहिए।
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