परेशान शिष्य ने गुरु से पूछा समाधान, गुरु ने पहले उसे नमक मिला पानी पिलाया और फिर समझाई ये बात

लोगों की अक्सर यही शिकायत रहती है उनके जीवन में बहुत सारी परेशानियां और दुख हैं। इस बात का रोना वो सभी के सामने रोते रहते हैं और खुद को पीड़ित बताते हैं। जबकि उन लोगों के पास दुखी होने से ज्यादा खुश होने के कारण भी होते है।

उज्जैन. कुछ लोग स्वभाववश दुखों को ही प्राथमिकता देते हैं, जबकि उनके पास खुश होने के भी कारण होते हैं। ऐसे लोग चाहकर भी कभी खुश नहीं रह पाते। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि हमें दुखी होने से ज्यादा खुश होने की वजहों पर ध्यान देना चाहिए।

ये भी पढ़ें- बेटे ने पूछा “क्यों समाज में किसी को ज्यादा तो किसी को कम सम्मान मिलता है?” पिता ने बताई ये खास वजह

जब एक परेशान शिष्य ने गुरु को बताई अपनी समस्या
किसी गांव में एक आश्रम था, वहां गुरु अपने शिष्यों को शिक्षा दिया करते थे। उन शिष्यों में से एक शिष्य गुरु को बहुत प्रिय था, क्योंकि वो गुरु की हर बात मानता था। एक दिन गुरु ने गौर किया कि उनका शिष्य अब पहले जैसे नहीं रहा। वह गुम-सुम रहने लगा था और किसी कार्य में भाग भी नहीं लेता था।
एक दिन वह शिष्य गुरु के पास आया और बोला कि “ गुरुजी, मैं अपने जीवन से बहुत परेशान हूं। परिवार की समस्याओं ने मुझे तनाव में ला दिया है। कृपया इस परेशानी का कोई हल बताएं।” 
गुरुजी ने उसकी बात ध्यान से सुनी और बोले “पानी के गिलास में एक मुट्ठी नमक डालो और उसे पी जाओ।” शिष्य ने ऐसा ही किया। 
गुरु ने पूछा “ इसका स्वाद कैसा लगा ?”
शिष्य ने बोला “ बहुत ही खराब…एकदम खारा।” उसने थूकते हुए बोला।
गुरु बोले “एक बार फिर अपने हाथ में एक मुट्ठी नमक लो और मेरे साथ चलो।“
गुरु अपने शिष्य को लेकर एक साफ पानी की झील के पास ले गए और बोले “अब ये नमक इस झील में डाल लो।”
शिष्य ने ऐसा ही किया। इसके बाद गुरु ने कहा “अब इस झील का पानी पियो।” 
शिष्य ने पानी पी लिया। गुरु ने पूछा “अब बताओ, इस पानी का स्वाद कैसा है, क्या ये भी तुम्हें खारा लग रहा है?”
शिष्य ने कहा “नहीं, ये पानी तो मीठा है। इतने से नमक का झील के पानी में भला क्या असर होगा।”
गुरु ने शिष्य को समझाते हुए कहा कि ”हमारे सभी के जीवन में दुःख बिलकुल नमक की तरह है, न इससे कम ना ज्यादा और ये हम पर निर्भर करता है कि हम हमारे जीवन को गिलास के पानी जितना बनाए या झील के पानी जितना विशाल। उसी के अनुपात में दुख हम पर असर डालेगा। इसलिए झील का पानी बनो न कि गिलास का”

ये भी पढ़ें- राजा ने बुजुर्गों को राज्य से निकाल दिया, लेकिन एक बेटे ने पिता को छिपा लिया, मुसीबत में उसी ने दिया ये उपाय

निष्कर्ष ये है कि…
कुछ लोग छोटी-छोटी बातों से दुखी हो जाते हैं जबकि उनके जीवन में सुखी होने के कई कारण होते हैं। ऐसे लोग सुख से ज्यादा दुख के कारणों को जीवन में महत्व देते हैं, इसलिए वे हमेशा दुखी ही रहते हैं।

ये भी पढ़ें -

नाव तूफान में फंस गई तो पंडितजी घबरा गए, उन्हें लगा मौत करीब है, तभी एक चमत्कार ने उन्हें बचा लिया

जब 2 दिन भूखा रहने के बाद राजा के बेटे को समझ में आ गया जिंदगी का असली सच

पिता और बेटा गधे पर बैठकर जा रहे थे, लोगों ने कहा ’कितने निर्दयी है, दोनों पैदल चलने लगे…फिर क्या हुआ?

भिखारी ने सेठ से पैसे मांगे, सेठ ने कहा “बदले में तुम मुझे क्या दोगे? ये सुनकर भिखारी ने क्या किया?

पिता को कपड़े सीते देख बेटे ने पूछा “आप कैंची पैरों में और सुई टोपी में क्यों लगाते हैं? पिता ने बताई खास वजह

एक व्यक्ति ने दुकान पर बाल कटवाए और बोला “दुनिया में नाई होते ही नहीं है”…जानिए इसके पहले और बाद में क्या हुआ?
 

Share this article
click me!

Latest Videos

'भविष्य बर्बाद न करो बेटा' सड़क पर उतरे SP, खुद संभाला मोर्चा #Shorts #Sambhal
Sambhal Jama Masjid: संभल में क्या है जामा मस्जिद सर्वे से जुड़ा विवाद? 10 प्वाइंट में समझें सबकुछ
Kharmas 2024: दिसंबर में कब से लग रहे हैं खरमास ? बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य
जय भवानी' PM Modi बोले- महाराष्ट्र में सुशासन और विकास की जीत, झूठ-छल-फरेब की हुई हार
LIVE 🔴 Maharashtra, Jharkhand Election Results | Malayalam News Live