
उज्जैन. परिवार में मुखिया का पद सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि उन्हीं के फैसलों का सम्मान सभी को करना पड़ता है। कई बार मुखिया के गलते फैसले के कारण परिवार के अन्य लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए मुखिया का जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है।
मुखिया पर टिका होता है परिवार का भविष्य
घर का मुखिया सिर्फ परिवार ही नहीं चलाता है, उसके कर्मों पर ही परिवार का भविष्य टिका होता है। मुखिया का एक गलत निर्णय परिस्थितियों को पूरी तरह विपरीत कर सकता है। परिवार का मुखिया पंक्ति में खड़े पहले व्यक्ति की तरह होता है। जो जैसा खड़ा होता है, कतार में शेष लोग भी वैसे ही खड़े होते हैं। अगर आप पंक्ति में पहले खड़े हैं तो सावधान हो जाइए। परिवार चलाना भी ऐसा ही काम है।
इस उदाहरण से समझें
- युधिष्ठिर परिवार के मुखिया थे। महाभारत में उन्हें धर्मराज भी कहा गया है, जिसका अर्थ है कि वे धर्म का विशेष ज्ञान रखते थे, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने एक बहुत बड़ी गलती कर दी, जिसके कारण पांडवों को वनवास जाना पड़ा और दु:ख भोगने पड़े।
- जुआ खेलने की लत सिर्फ युधिष्ठिर को थी। दुर्योधन से जुआ भी उन्होंने अकेले ही खेला। लेकिन परिणाम सबने भुगता। द्रौपदी का चीरहरण हो गया। पांचों भाइयों को वन में जाना पड़ा। राजपाठ हाथ से चला गया। इंद्रप्रस्थ भी दुर्योधन ने जीत लिया।
लाइफ मैनजेमेंट (Life Management)
यदि आप परिवार के मुखिया हैं तो आपकी जिम्मेदारी भी ज्यादा है। निजी आनंद, निजी स्वार्थ के लिए कोई ऐसा काम ना करें, जिसका परिणाम पूरे परिवार को भुगतना पड़े। जब भी कोई निर्णय लें तो यह सोच कर लें कि उसका परिणाम आपके पूरे परिवार को भुगतना पड़ सकता है। कभी भी सिर्फ निजी शौक या हित के लिए ही कोई काम ना करें। हमेशा दूरदृष्टि का उपयोग करें।
हिंदू धर्म ग्रंथों की इन शिक्षाओं के बारे में भी पढ़ें
Garud Puran: इन 5 तरह के लोगों से कभी प्यार से बात न करें, बढ़ा सकते हैं आपकी परेशानियां
रामायण: जो लोग करते हैं गुरु, संत और वृद्ध लोगों की सेवा, उन्हें मिलते हैं ये 4 सुख
बाल संवारते समय महिलाओं को ध्यान रखनी चाहिए ये 4 बातें, नहीं तो सौभाग्य में आती है कमी
ये 3 काम करने से जीवन में बनी रहती हैं परेशानियां, इनसे हमेशा बचकर रहना चाहिए
वैदिक काल से चली आ रही है लकड़ी के खड़ाऊ पहनने की परंपरा, जानिए क्या है इसका वैज्ञानिक कारण?