Sawan में क्यों चढ़ाते हैं शिवलिंग पर दूध, इस परंपरा से जुड़ा है मनोवैज्ञानिक और ज्योतिषीय कारण

इन दिनों भगवान शिव (Shiv) का प्रिय सावन (Sawan) मास चल रहा है। इस महीने में भक्त अलग-अलग तरीकों से महादेव (Mahadev) को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार सावन में शिवलिंग (Shivling) का अभिषेक दूध से करना चाहिए, इससे घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है और शुभ फल मिलते हैं। साथ ही इस महीने में लोगों को दूध न पीने के लिए भी कहा जाता है। हमारे ऋषि-मुनियों ने ये नियम बहुत ही सोच-समझकर और वैज्ञानिक सोच के साथ बनाए हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 6, 2021 4:33 AM IST / Updated: Aug 06 2021, 11:09 AM IST

उज्जैन. सावन (Sawan) में स्वयं दूध न पीना और शिवलिंग का अभिषेक दूध से करने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्य समाहित है। आगे जानिए इसका कारण…

- आयुर्वेद के अनुसार, सावन (Sawan) में मौसमी बदलाव के कारण जठराग्नि (भोजन पचाने की शक्ति) कमजोर हो जाती है, जिससे पाचन ठीक नहीं रहता। इस दौरान दूध (Milk) नहीं पचने के कारण कफ और वात (गैस) बढ़ने लगता है।
- आचार्य वाग्भट्‌ट सहित चरक और सुश्रुत ने भी अपने ग्रंथों में इस बात का वर्णन किया है। इसलिए हमारे पुराणों में सावन (Sawan) में शिवजी (Shiv) को दूध अर्पित करने की परंपरा बन गई थी। सावन में गाय-भैंस घास के साथ कई कीड़े भी खा लेती हैं, जो दूध को हानिकारक बना देते हैं।
- सावन (Sawan) में भगवान शिव को दूध चढ़ाया जाता है। इस परंपरा (Tradition) को व्यवहारिक नजरिये से देखें तो जिन चीजों से प्राणों का नाश होता है, मतलब जो विष (हानिकारक) हैं, उन सबका भोग शिवजी को लगता है।
- कई सालों पहले जब श्रावण महीने में हर जगह शिवलिंग (Shivling) पर दूध चढ़ता था, तब लोग समझ जाया करते थे कि इस महीने में दूध जहर के सामान है। ऐसे में वे इसलिए दूध त्याग देते थे कहीं उन्हें बरसाती बीमारियां न घेर लें।
- शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का ज्योतिषीय नजरिया भी है। इसके अनुसार दूध पर चंद्रमा का प्रभाव होता है। शिवजी ने चंद्रमा को अपने सिर पर स्थान दिया है। वहीं चंद्रमा मन का कारक ग्रह भी है। चंद्रमा की अच्छी-बुरी स्थिति का असर मनुष्य मन पर पड़ता है। चंद्रमा के बुरे असर से बचने के लिए शिवलिंग पर चंद्रमा की कारक वस्तुएं दूध और जल चढ़ाई जाती हैं।

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