Makar Sankranti 2023: इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी, रविवार को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा काफी पुरानी है। ये परंपरा कैसे शुरू हुई और इसके पीछे क्या कारण है, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
उज्जैन. हिंदू धर्म में हर त्योहार के साथ कोई-न-कोई परंपरा जरूर जुड़ी होती है। कई बार इस परंपरा के पीछे धार्मिक तो कभी वैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं, लेकिन बहुत कम लोग इन परंपराओं में छिपे कारणों के बारे मे जानते हैं। मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) पर भी कई परंपराएं निभाई जाती है। पतंग उड़ना भी इनमें से एक है। इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति पर पतंग क्यों उड़ाई जाती है और इसके पीछे क्या धार्मिक वैज्ञानिक तथ्य छिपे हैं, इसके बारे में कोई नहीं जानता। आगे जानिए मकर संक्रांति पर पतंग क्यों उड़ाई जाती है…
श्रीराम ने उड़ाई थी इस दिन पतंग (Why do kites fly on Makar Sankranti?)
मकर संक्रांति पर पतंग कब से और क्यों उड़ाई जा रही है, जिसके बारे में कहीं कोई स्पष्ट उल्लेख तो नहीं मिलता, लेकिन तमिल की तन्दनानरामायण के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम ने पतंग उड़ाई थी और वह पतंग उड़कर इंद्रलोक में चली गई थी। तब से इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू हो गई। इस प्रसंग का वर्णन गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के बालकांड में भी मिलता है। उसके अनुसार-
'राम इक दिन चंग उड़ाई। इंद्रलोक में पहुँची जाई॥'
अर्थ ये है कि श्रीराम ने अपने मित्रों के साथ मकर संक्रांति पर एक पतंग उड़ाई जो उड़ते-उड़ते देवलोक तक जा पहुंची।
इस बात ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा काफी पुरानी है।
पतंग उड़ाना सेहत के लिए भी जरूरी (Traditions of Makar Sankranti)
मकर संक्रांति और पतंग एक-दूसरे के पर्याय हैं यानी बिना पतंग के मकर संक्रांति के बिना सोचा भी नहीं जा सकता। भारत के अधिकांश हिस्सों में इस दिन पतंगबाजी की जाती है, खासतौर पर गुजरात में। मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने के पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि शीत ऋतु में हमारे शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती है और त्वचा भी रुखी हो जाती है। इस स्थिति में सूर्य का प्रकाश औषधि का काम करता है। पतंग उड़ाते समय हमें सीधे धूप के संपर्क में होते हैं, जिससे हमारी त्वचा को विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में मिलता है। सूर्य की रोशनी से मिलने वाला विटामिन डी अमृत के समान होता है, जो हमें शीतजन्य बीमारियों से बचाता है। यही कारण है कि हमारे पूर्वजों ने मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा बनाई।
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