नवरात्रि में किया जाता है कन्या पूजा, ये है नियम, विधि, महत्व व अन्य खास बातें

नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) की महाष्टमी (इस बार 13 अक्टूबर, बुधवार) और नवमी तिथि (इस बार 14 अक्टूबर, गुरुवार) पर कन्या पूजन (Kanya Puja 2021) की परंपरा है। माना जाता है कि नवरात्रि में कन्या भोज और पूजन करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं।

Asianet News Hindi | Published : Oct 11, 2021 2:04 PM IST

उज्जैन. नवरात्रि में कन्या पूजन करने से भक्तों को सुख समृद्धि का वरदान मिलता है। धर्म ग्रंथों के नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) में ऐसी कन्याओं की पूजा करनी चाहिए, जिनकी उम्र 2 से 10 साल के बीच की हो। इन कन्याओं की संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए। 

कन्या पूजन के नियम
महाष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन (Kanya Puja 2021) के कुछ नियम श्रीमद् देवीभागवत में बताए गए हैं। जिसके मुताबिक 2 साल से कम उम्र की कन्या को नहीं बुलाना चाहिए, क्योंकि वह कन्या गंध भोग आदि चीजों के स्वाद से बिल्कुल अनजान रहती हैं इसलिए 2 से 10 साल तक की कन्याओं की पूजा की जा सकती है।

कन्या पूजन की विधि
- नवरात्रि की महाष्टमी या नवमी तिथि पर कन्या पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले ही आदर पूर्वक निमंत्रण दें।
- कन्याओं के आने पर सभी को प्रेम पूर्वक नियत स्थान पर बैठाएं और पुष्प वर्षा कर उनका अभिनंदन करें।
- ऊँ कौमार्यै नम: मंत्र से कन्याओं की पंचोपचार पूजा करें। इसके बाद उन्हें रुचि के अनुसार भोजन कराएं। भोजन में मीठा अवश्य हो, इस बात का ध्यान रखें।
- भोजन के बाद कन्याओं के पैर धुलाकर विधिवत कुंकुम से तिलक करें तथा दक्षिणा देकर हाथ में फूल लेकर यह प्रार्थना करें-
मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।
- तब वह फूल कन्या के चरणों में अर्पण कर उन्हें अपनी इच्छा अनुसार उपहार देकर ससम्मान विदा करें।
- कन्या पूजन से दरिद्रता खत्म होती है और दुश्मनों पर जीत मिलती है। धन और उम्र बढ़ती है। वहीं, विद्या और सुख-समृद्धि भी मिलती है।

कन्या पूजा का महत्व
धर्म ग्रंथों के अनुसार, 2 वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता दूर होती है। 3 वर्ष की कन्या के पूजन से धन-धान्य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। 4 वर्ष की कन्या की पूजा से परिवार का कल्याण होता है। 5 वर्ष की कन्या को पूजने से रोग दूर होते हैं। 6 वर्ष की कन्या की पूजा से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है। 7 वर्ष की कन्या का का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 8 वर्ष की कन्या के पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। 9 वर्ष की कन्या का पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा सभी कामों में सफलता मिलती है। 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। इसकी पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

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