सार

इन दिनों शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) का पर्व चल रहा है। ये उत्सव 14 अक्टूबर, गुरुवार तक मनाया जाएगा। इन 9 दिनों में देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर व्यक्ति अलग-अलग तरीकों से माता को प्रसन्न करने का प्रयास करता है।

उज्जैन. इस उत्सव के जुड़ी कई परंपराएं भी हैं। इन परंपराओं के पीछे हमारे पूर्वजों की वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक सोच निहित है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार नवरात्रि का संबंध हमारी सेहत से भी है। नवरात्रि के दिनों में रखे गए व्रत-उपवास से हमारे स्वास्थ्य को बहुत लाभ मिलते हैं। साथ ही इस पर्व के अंतिम दिनों में कन्या पूजा करने की परंपरा है। इन दोनों परंपराओं से जुड़े वैज्ञानिक तथ्य इस प्रकार है…

नवरात्रि में व्रत-उपवास करने के फायदे
- नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2021) पर्व वर्षा और शीत ऋतु का संधिकाल है। ऋतुओं के संधिकाल में काफी लोगों को मौसमी बीमारियां जैसे सर्दी-जुकाम, बुखार, पेट दर्द, अपच जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- आयुर्वेद में ऐसे रोगों से बचाव के लिए लंघन नाम की एक विधि बताई गई है। इस विधि में पाचन तंत्र को आराम दिया जाता है। पाचन तंत्र को आराम देने का ही एक तरीका है व्रत करना।
- व्रत में अन्न, मसालेदार खाना आदि चीजों का सेवन नहीं किया जाता है, व्रत करने वाले भक्त फलाहार करते हैं।
- फलों को पचाने में पाचन तंत्र को ज्यादा मुश्किल नहीं आती है और शरीर को भी जरूरी ऊर्जा फलों से मिल जाती है। इस तरह व्रत करने से कई रोगों से बचाव हो सकता है।

नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2021) में कन्या पूजन
- नवरात्रि में कन्या पूजन के पीछे मनोवैज्ञानिक पक्ष है। शास्त्रों में छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप माना गया है। 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को नवरात्रि में भोजन कराया जाता है, दान दिया जाता है, पूजा की जाती है।
- उम्र के अनुसार छोटी कन्याओं को अलग-अलग देवियों का स्वरूप माना गया है। 2 वर्ष की कन्या कुमारिका, 3 साल की कन्या त्रिमूर्ति, 4 वर्ष की कन्या कल्याणी, 5 साल की कन्या रोहिणी, 6 वर्ष की कन्या कालिका, 7 साल की कन्या चंडिका, 8 वर्ष की कन्या सांभवी, 9 वर्ष की कन्या दुर्गा और 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी गई है।
- छोटी कन्याएं मन में सभी के लिए पवित्र विचार होते हैं, वे किसी का अहित करने के लिए नहीं सोचती हैं, छोटी कन्याएं सभी बुरी आदतों से दूर रहती हैं।
- इनके मन में सभी के लिए प्रेम रहता है। नवरात्रि में इन्हें भोजन कराने के बाद पैर धुलवाना चाहिए और उनके पैरों की पूजा करनी चाहिए। श्रद्धा अनुसार दक्षिणा दें। फल और वस्त्रों का दान करें।

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