नवरात्रि: बार्डर के नजदीक देवी मां का एक ऐसा मंदिर जिस पर पाकिस्तान के 3000 बम भी थे बेअसर

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते और ज्यादा खराब हो चुके हैं। विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कई युद्ध हो चुके हैं।

उज्जैन. नवरात्रि के खास मौके पर हम आप आपको एक ऐसे देवी मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जो 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध का गवाह है। ये मंदिर है राजस्थान के जैसलमेर में स्थित तनोट राय माता का मंदिर। यहां से पाकिस्तान बॉर्डर मात्र 20 किलोमीटर दूर है।

क्यों खास है ये मंदिर?
तनोट माता भारतीय सीमा सुरक्षा बल की आराध्य देवी हैं। सेना के जवान ही मंदिर की देखरेख करते हैं। 1965 में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था। युद्ध में पाकिस्तानी सेना की ओर से माता मंदिर के क्षेत्र में करीब 3000 बम गिराए थे, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। मंदिर की इमारत वैसी की वैसी रही। मंदिर परिसर में अभी भी करीब 450 पाकिस्तानी बम आम लोगों के देखने के लिए रखे हुए हैं। ये सभी बम उस समय फटे ही नहीं थे। भारतीय सेना और यहां के लोग इसे देवी मां का ही चमत्कार मानते हैं।

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पाकिस्तानी ब्रिगेडियर ने भी माना माता का चमत्कार
1965 के युद्ध के दौरान माता के चमत्कारों के आगे नतमस्तक हुए पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान ने भारत सरकार से यहां दर्शन करने की अनुमति देने का अनुरोध किया। करीब ढाई साल बाद भारत सरकार से अनुमति मिलने पर ब्रिगेडियर खान ने न केवल माता की प्रतिमा के दर्शन किए, बल्कि मंदिर में चांदी का छत्र भी चढ़ाया जो आज भी मंदिर में है।

क्या है मंदिर का इतिहास?
मंदिर परिसर में लगे शिलालेख के अनुसार, जैसलमेर के निवासी मामडियांजी की पहली संतान के रूप में विक्रम संवत् 808 चैत्र सुदी नवमी तिथि मंगलवार को भगवती श्री आवड़देवी यानी तनोट माता का जन्म हुआ था। माता की 6 बहनें आशी, सेसी, गेहली, होल, रूप और लांग थीं। देवी मां ने जन्म के बाद क्षेत्र में बहुत से चमत्कार दिखाए और लोगों का कल्याण किया। इस क्षेत्र में राजा भाटी तनुरावजी ने वि.सं. 847 में तनोट गढ़ की नींव रखी थी। इसके बाद यहां देवी मां का मंदिर बनवाया गया और वे तनोट राय माता के नाम से प्रसिद्ध हुईं।

यहां है विजय स्तंभ भी
देवी मां के मंदिर का रख-रखाव भारतीय सीमा सुरक्षा बल ही करती है। यहां भारत-पाकिस्तान युद्ध की याद में एक विजय स्तंभ का भी निर्माण किया गया है। ये स्तंभ भारतीय सेनिकों की वीरता की याद दिलाता है।

कैसे पहुंचे यहां?
अगर आप तनोट माता के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले राजस्थान के जैसलमेर पहुंचना होगा। यहां पहुंचने के लिए देशभर से आवागमन के लिए कई साधन आसानी से मिल जाते हैं। जैसलमेर से करीब 130 किमी दूर तनोट माता मंदिर है। मंदिर पहुंचने के लिए आप जैसलमेर से प्राइवेट कार से जा सकते हैं। इसके अलावा राजस्थान रोडवेज की बस भी तनोट जाती है।

परिचय पत्र जरूर साथ लेकर जाएं
ये इलाका बहुत ही संवेदनशील है। यहां सीमा सुरक्षा बल आने-जाने वाले श्रद्धालुओं पर कड़ी नजर रखता है। ऐसे में आपके पास परिचय पत्र होना बहुत जरूरी है। इसकी मदद से आप यहां होने वाली जांच में परेशानियों से बच सकते हैं।

मंदिर में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था भी
अगर कोई श्रद्धालु यहां रुकना चाहता है तो उसके लिए यहां रुकने की पर्याप्त व्यवस्था भी है। यहां विश्राम गृह बना हुआ है, जिसमें आप ठहर सकते हैं।
 

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