Sawan: अरब सागर में स्थित है ये शिव मंदिर, दिन में 2 बार समुद्र में डूब जाता है, शिवपुराण में भी है वर्णन

सावन (Sawan) में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इनमें से कई शिव मंदिर (Shiv Mandir) बहुत विशेष है। गुजरात (Gujrat) में वड़ोदरा (Vadodara) के निकट एक ऐसा शिव मंदिर है, जो दिन में 2 बार नजरों से ओझल हो जाता है। इसे स्तंभेश्वर महादेव (Stambheshwar Mahadev) कहते हैं। यह मंदिर वडोदरा से 85 किमी दूर स्थित कावी-कंबोई गांव के निकट अरब सागर (Arabian Sea) के बीच कैम्बे तट पर स्थित है। इसलिए ज्वार के समय शिवलिंग (Shivling) पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है और मंदिर तक कोई नहीं पहुंच सकता।

Asianet News Hindi | Published : Aug 3, 2021 4:43 AM IST / Updated: Aug 03 2021, 11:51 AM IST

उज्जैन. इस मंदिर के शिवलिंग के दर्शन तभी कर सकते हैं, जब समुद्र में ज्वार कम हो। इस मंदिर का वर्णन शिवपुराण (Shivpuran) की रुद्र संहिता में मिलता है। मंदिर की खोज लगभग 150 साल पहले हुई। मंदिर में स्थित शिवलिंग का आकार 4 फुट ऊंचा और दो फुट के व्यास वाला है। इस प्राचीन मंदिर के पीछे अरब सागर का सुंदर नजारा दिखाई पड़ता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खासतौर से पर्चे बांटे जाते हैं। जिसमें ज्वार-भाटा आने का समय लिखा होता है। ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना न करना पड़े।

पौराणिक मान्यता के अनुसार
राक्षस ताड़कासुर ने अपनी तपस्या से शिव को प्रसन्न कर लिया था। जब शिव उसके सामने प्रकट हुए तो उसने वरदान मांगा कि उसे सिर्फ शिव जी का पुत्र ही मार सकेगा और वह भी छह दिन की आयु का। शिव ने उसे यह वरदान दे दिया था। वरदान मिलते ही ताड़कासुर ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया। देवताओं और ऋषि-मुनियों को आतंकित कर दिया। देवता महादेव की शरण में पहुंचे। शिव-शक्ति से श्वेत पर्वत के कुंड में उत्पन्न हुए शिव पुत्र कार्तिकेय के 6 मस्तिष्क, चार आंख, बारह हाथ थे। कार्तिकेय ने ही मात्र 6 दिन की आयु में ताड़कासुर का वध किया था।

कार्तिकेय ने बनवाया था मंदिर
जब कार्तिकेय को पता चला कि ताड़कासुर भगवान शंकर का भक्त था, तो वे काफी व्यथित हुए। फिर भगवान विष्णु ने कार्तिकेय से कहा कि वे वधस्थल पर शिवालय बनवा दें। इससे उनका मन शांत होगा। कार्तिकेय ने ऐसा ही किया। सभी देवताओं ने मिलकर महिसागर संगम तीर्थ पर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की, जिसे आज स्तंभेश्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में स्वयं शिवशंभु (भगवान शंकर) विराजते हैं इसलिए समुद्र देवता स्वयं उनका जलाभिषेक करते हैं। यहां पर महिसागर नदी का सागर से संगम होता है।

कैसे पहुंचे?
यह मंदिर गुजरात के प्रमुख शहर वडोदरा से 85 किलोमीटर दूर है यहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए कई बसें व अन्य साधन उपलब्ध रहते हैं।

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