किसी भी मंत्र की शुरूआत से पहले जरूर बोलना चाहिए ये 1 शब्द, तभी मिलता है पूरा फल

अलग-अलग ग्रंथों में ऊँ शब्द की खासियत के बारे में बताया गया है- इसका उच्चारण कैसे करना चाहिए, कब-कब करना चाहिए आदि।

Asianet News Hindi | Published : May 26, 2020 6:37 PM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार केवल ओम शब्द का उच्चारण कर लेने से ही भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आह्वान हो जाता है। जानिए अलग-अलग धर्म-ग्रंथों में लिखी ऊँ से जुड़ी खास बातें..

गोपथ ब्राह्मण के अनुसार
किसी भी मंत्र का उच्चारण करते समय शुरूआत में यदि ऊँ न लगाया जाए तो वह मंत्र जप निष्फल हो जाता है। मंत्र जप के आरम्भ में ऊँ लगाने से मंत्रोच्चारण से मिलने वाला फल कई गुना बढ़ जाता है।

कठोपनिषद् के अनुसार
अक्षर ऊँ ही ब्रह्म है और यही परब्रह्म है। जो मनुष्य इसका महत्व समझकर ऊँ का उच्चारण हर दिन करता है, वो मनुष्य जो चाहे वो पा सकता है।

माण्डूक्य उपनिषद् के अनुसार
अपने मन में ऊँ शब्द को बसा लो और उसका जाप करते रहो। ऊँ शब्द का ध्यान और जप करने वाले व्यक्ति को कभी किसी भी तरह का भय नहीं सताता।

कठोपनिषद् के अनुसार
सभी वेदों का सार, तपस्वियों का तप और ज्ञानियों का ज्ञान सिर्फ ओम शब्द में ही बसा हुआ है। इसलिए रोज शांत मन के साथ ऊँ का उच्चारण करना चाहिए।

श्रीमद्भागवद् गीता के अनुसार
जो मनुष्य मन को स्थिर करके, योगावस्था में आकर ब्रह्म रूपी शब्द ऊँ का उच्चारण करते हुए अपने शरीर का त्याग करता है, वह पुरुष परम गति को प्राप्त होता है।

Share this article
click me!