हरियाणा में है शीतला माता का प्राचीन मंदिर, महाभारत काल से है इसका संबंध, नवरात्रि में लगता है मेला

धर्म ग्रंथों के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि को देवी शीतला की पूजा की जाती है। इस बार शीतला सप्तमी 24 मार्च, गुरुवार (Sheetala Saptami 2022) और शीतला अष्टमी 25 मार्च, शुक्रवार (Sheetala Ashtami 2022) को है।

उज्जैन. शीतला माता (Sheetla Mata Puja 2022) को ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है, इसलिए इस दिन घर में ताजा भोजन नहीं पकता। और भी कई मान्यताएं और परंपराएं इस पर्व से जुड़ी हैं। हमारे देश में वैसे तो शीतला माता के कई मंदिर हैं, लेकन उन सभी में गुरुग्राम स्थित शीतला माता मंदिर (Sheetla Mata Mandir, Gurugram) का विशेष महत्व है। हरियाणा के गुड़गांव में स्थित शीतला माता का मंदिर कई आस्थाओं का प्रतीक है यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। लेकिन इससे जुड़ी कथाएं महाभारत काल की हैं। नवरात्रि व अन्य अवसरों पर यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

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मंदिर में है खास सरोवर

शीतला माता मंदिर परिसर में शनिदेव, भैरव जी, राधा कृष्ण, राम दरबार, हनुमान, मां दुर्गा समेत सभी देवी देवताओं के अलग-अलग मंदिर हैं। श्रद्धालु अपने बच्चों के पहली बार बाल उतरवाने (मुंडन) के लिए यहां पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में बने तालाब का विशेष महत्व है। इस तालाब में अब पूर्वांचल के प्रमुख त्यौहार छठ मैया की पूजा भी होने लगी है। छठ मैया की पूजा के लिए शीतला माता मंदिर परिसर में बने सरोवर को विशेष रूप से सजाया जाता है। 

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मंदिर का इतिहास
ये मंदिर महाभारत कालीन बताया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गुरु द्रोणाचार्य की पत्नी कृपी का ही रूप है देवी शीतला। माता कृपी का आशीर्वाद भगवान कृष्ण ने भी लिया था। द्रोणाचार्य का आश्रम भी यहीं था। इसलिए इस स्थान का नाम गुरु ग्राम है। मुगल काल के दौरान जब सभी मंदिर तोड़े जा रहे थे, उस समय शीतला माता मंदिर को भी नुकसान पहुंचाया गया और देवी की मूर्ति को तालाब में फेंक दिया गया। बाद में एक श्रृद्धालु को माता शीतला ने सपने में दर्शन दिए। उस भक्त ने तालाब से मूर्ति निकलवाई माता का मंदिर बनवाया। 

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चैत्र नवरात्रि में लगता है मेला
चैत्र नवरात्रि के दौरान शीतला माता मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रतिदिन लगभग 50 हजार भक्त शामिल होते हैं। आस-पास रहने वाले लोग शीतला देवी को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। बच्चों को होने वाली छोटी मोटी समस्याओं जैसे हकलाने और तुतलाने के ठीक होने की भी यहां मन्नत मांगी जाती है।

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कैसे पहुचें?
गुरुग्राम रेलवे स्टेशन सभी मुख्य रेलवे लाइनों से कनेक्ट है। यहां से से मंदिर के लिए आटो या सिटी बस से जाया जा सकता है। स्टेशन से मंदिर करीब तीन किलोमीटर दूर है। बस से आने वाले लोग गुरुग्राम बस स्टैंड से दो किलोमीटर दूर आटो या सिटी बस से पहुंच सकते हैं।
 

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