तिल द्वादशी 8 फरवरी को, इस विधि से करें व्रत और पूजा, घर में बनी रहेगी सुख-समृद्धि

माघ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को तिल द्वादशी का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 8 फरवरी, सोमवार को है। इस दिन तिल से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2021 3:25 AM IST

उज्जैन. माघ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को तिल द्वादशी का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 8 फरवरी, सोमवार को है। इस दिन तिल से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जानिए इस व्रत की विधि…

- तिल द्वादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके सूर्य देव को नमस्कार करना चाहिए।
- तांबे के पात्र में सुगंध, अक्षत, तिल, जल तथा फूलों को मिलाकर सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य देना चाहिए।
- तिल द्वादशी का व्रत के दिन स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान मधुसुदन की पूजा करें।
- पूजा के दौरान भगवान को धूप व दीप दिखाकर तत्पश्चात फल, फूल, चावल, रौली, मौली, पंचामृत से स्नान आदि कराने के पश्चात भगवान को तिल से बनी वस्तुओं या तिल तथा गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए।
- इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा करते समय पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
- भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद मंत्र जाप 108 बार करना चाहिए। संध्या समय कथा सुनने के पश्चात भगवन की आरती उतारें।
- इस दिन जो व्यक्ति तिल द्वादशी का व्रत रखते हैं और जो व्यक्ति व्रत नहीं रखते हैं वह सभी अपनी क्षमता के अनुसार गरीब लोगों को दान अवश्य करें तो शुभ फलों को पाते हैं।
- इस प्रकार विधिवत भगवान श्री विष्णु का पूजन करने से मानसिक शान्ति मिलने के साथ आपके घर-परिवार के सुख व समृद्धि में वृद्धि होती है।
- तिल द्वादशी व्रत सभी प्रकार का सुख वैभव देने वाला और कलियुग के समस्त पापों का नाश करने वाला है।
- इस व्रत में ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, आदि का बहुत ही महत्व है।


 

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