Utpanna Ekadashi 2021: आयुष्मान और द्विपुष्कर योग में 30 नवंबर को करें उत्पन्ना एकादशी का व्रत और पूजा

अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2021) कहते हैं। इस बार ये एकादशी 30 नवंबर, मंगलवार को है। इस बार आयुष्यमान और द्विपुष्कर योग में यह व्रत पड़ने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 28, 2021 4:14 PM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार उत्पन्ना एकादशी पर व्रत और पूजा करने से हजारों कन्यादान, लाखों गौदान के साथ लंबी उम्र का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। ये हेमंत ऋ‍तु की पहली एकादशी होती है। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार, इस तिथि पर एकादशी तिथि प्रकट हुई थी, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। पद्म पुराण के मुताबिक इस दिन व्रत या उपवास करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही कई यज्ञों को करने का फल भी मिलता है।

इसलिए उत्पन्ना हुई एकादशी तिथि
एक बार मुर नामक राक्षस ने भगवान विष्णु को मारना चाहा, तभी भगवान के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मुर नामक राक्षस का वध कर दिया । इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने देवी से कहा कि- चूंकि तुम्हारा जन्म मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ है, इसलिए तुम्हारा नाम एकादशी होगा। आज से प्रत्येक एकादशी को मेरे साथ तुम्हारी भी पूजा होगी। आज एकादशी की उत्पत्ति होने से ही इसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है और इस दिन से एकादशी व्रत का अनुष्ठान भी किया जाता है।

इस विधि से करें व्रत और पूजा
- इस एकादशी का व्रत एक दिन पहले से प्रारंभ होती है, रात्रि को भोजन करने वाले को उपवास का आधा फल मिलता है और दिन में एक बार भोजन करने वाले को भी आधा ही फल प्राप्त होता है। जबकि निर्जल व्रत रखने वाले का माहात्म्य तो देवता भी वर्णन नहीं कर सकते।
- सुबह स्नान करके संकल्प करना चाहिए और निर्जला व्रत रखना चाहिए। दिन में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा में धूप, दीप एवं नाना प्रकार से समग्रियों से विष्णु को प्रसन्न करना चाहिए। कलुषित विचार को त्याग कर सात्विक भाव धारण करना चाहिए।
- रात्रि के समय श्री हरि के नाम से दीपदान करना चाहिए और आरती एवं भजन गाते हुए जागरण करना चाहिए। पुराणों के अनुसार भगवान कहते हैं जो व्यक्ति इस प्रकार उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है उसे हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
- जो भिन्न-भिन्न धर्म कर्म से पुण्य प्राप्त होता है उन सबसे कई गुणा अधिक पुण्य इस एकादशी का व्रत निष्ठा पूर्वक करने से प्राप्त होता है।
 

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